*संघनायक श्रद्धेय श्री प्रियदर्शन मुनि जी म.सा. आदि ठाणा की पावन सानिध्य में अक्षय तृतीया वर्षीतप पारणा महोत्सव संपन्न*
*तपस्वियों का हुआ बहुमान, इक्षु रस से करवाए पारणें*
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
श्री प्राज्ञ जैन मित्र समिति की ओर से रविवार को परम पूज्य संघनायक प्रियदर्शन मुनि आदि ठाणा की पावन निश्रा में अक्षय तृतीया वर्षीतप भव्यातिभव्य पारणा महोत्सव श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया। महोत्सव में वर्षभर तपस्या करने वाले आराधकों का वीर संघ, परिवारजनों एवं समाजबंधुओं ने बहुमान किया। समिति की ओर से सभी तप आराधकों को इक्षु रस पिलाकर उनके पारणे करवाए।
मेवाड़ी गेट बाहर कुंदन नगर स्थित प्राज्ञ भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में शहर सहित देशभर से बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों ने शिरकत की।
पारणा महोत्सव के पावन अवसर पर प्रातः 9:00 बजे संघनायक ओजस्वी वक्ता, संवर प्रेरक परम पूज्य प्रियदर्शन मुनि म.सा. की ओर से प्रवचन के साथ तपस्वियों की तपस्या की अनुमोदना करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। सर्वप्रथम प्रवचन सभा में गुरूदेव ने फ़रमाया कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव भगवान ने आज के दिन 13 महीने 10 दिन उपवास रखा, दीक्षा लेने के बाद और राजकुमार श्रेयांश द्वारा निर्दोष आहार के रूप में इक्षु रस पिलाकर उपवास खोला। इसलिए अक्षय तृतीया पर वर्षी तप का पारणा का विधान है।उदाहरण देते हुए समझाया कि इक्षु में जहाँ गाँठ होती है वहाँ रस नहीं होता और जहाँ रस होता है वहाँ गाँठ नहीं होता उसी प्रकार जहाँ मिठास होती है वहाँ कटुता नहीं होती और जहाँ कटुता होती है वहाँ मिठास नहीं होती..!!
जिन शासन पर निर्मल श्रद्धा हो तभी तपस्या के भाव बनते है।तप से शरीर व आत्मा दोनों की शुद्धि होती है वही तप के साथ संवर जुड़ता है तो आत्मा की विशेष शुद्धि होती है, इसलिए तपस्या शरीर की अपेक्षा आत्म लक्ष्य के लिए ही कि जाना चाहिए।तप की महिमा बताते हुए पूज्य संघनायकश्री ने सभी को आगामी वर्षीतप के लिये प्रेरणा प्रदान की ।
पारणा महोत्सव को लेकर श्रावक श्राविकाओं सहित तपस्वियों में भी खासा उत्साह का माहौल देखा गया। कार्यक्रम में वर्षीतप करने वाले साधकों का श्री श्वे. स्था. जैन श्रावक समिति व प्राज्ञ जैन मित्र समिति ब्यावर की ओर से अभिनंदन किया गया। इसके बाद उपस्थित परिजनों एवं नाते रिश्तेदारों ने भी तपस्वियों का उत्साह के साथ बहुमान कर तपस्या की अनुमोदना की। इसके बाद तपस्वियों का अभिनंदन एवं इक्षु रस पारणा करवाए गए। उपस्थित श्रावकं श्राविकाओं एवं गणमान्य लोगों के लिए स्वधर्मी वात्सल्य का आयोजन भी किया गया। जिसमें सभी ने गौतम प्रसाद ग्रहण किया। महोत्सव के मौके पर श्री प्राज्ञ जैन मित्र समिति,श्री प्राज्ञ गुरु चेरिटेबल ट्रस्ट, श्री प्राज्ञ जैन युवा मंडल, श्री प्राज्ञ जैन स्वाध्यायी महिला मंडल तथा श्री स्थानकवासी जैन वीर संघ संस्थान के पदाधिकारी तथा सदस्यगण का विशेष सहयोग रहा।श्री श्वे. स्था. जैन नानक श्रावक समिति, अ.भा. श्री प्राज्ञ जैन युवा मण्डल, अ. भा. प्राज्ञ महिला समिति-मण्डल के पदाधिकारियों सहित कार्यक्रम में ब्यावर के अलावा दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, जयपुर, अजमेर,बिजयनगर, किशनगढ़, अरांई, मसूदा, बानंदवाड़ा, केकड़ी, भीलवाड़ा, कंवलियास, सरेड़ी, गुलाबपुरा, शाहपुरा, आसींद, बदनौर भीम आदि कई क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएँ उपस्थित रहे ।।