*‼️क्या आग से लड़ाई ! पानी से समझैता करके चल रहे हैं राठौड़ बाबा‼️*🤔
_*मेघराज को भामाशाह कहने वाले राजपूत !क्या समझ नहीं पा रहे बाबा जी का चाल !चेहरा ! और चरित्र???*_😨
_*महाराणा प्रताप बोर्ड ! बनाम राजपुताना नेतृत्व !!*_😇
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*राजपूतों की कर्मस्थली राजस्थान जो कभी राजपुताना के नाम से जाना जाता था इन दिनों फिर से चर्चाओं में है। एक तो इसलिए कि मुख्यमंत्री गहलोत ने महाराणा प्रताप बोर्ड का गठन कर दिया है । दूसरा बजरी के कारोबारी (बजरी माफ़िया नहीं) मेघराज रॉयल के ख़िलाफ़ आर एल पी सुप्रीमो पवन सुत हनुमान बेनीवाल ने परचम उठा रखा है। दोनों ही मामले में समान रूप से चर्चित हैं राठौड़ बाबा । यूँ तो पिछले दिनों मकराना राज ढ़ाबे में दो उच्च अधिकारियों ने जो कुटाई कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न किया उन अधिकारियों को निलंबित करवाने और उनके विरुद्ध मुक़दमा दर्ज़ करवाने में महाराज श्री ने ही पार्श्व संगीत दिया! फिर पूर्व मंत्री और वर्तमान प्रदेश उपाध्यक्ष (अपनी ही पार्टी की नेता) नसीम अख़्तर और उनके पति इंसाफ़ अली के विरुद्ध भी सम्मानीय ने ही मुक़द्दमा दर्ज़ करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इससे पूर्व आपने ही अपनी पार्टी के नेता महेन्द्र सिंह रलावता के पुत्र पर मुक़दमा ठोकने की प्रेरणा दी।*🙄
*कुल मिलाकर आज कल राठौड़ बाबा ही ज़िले में सर्वव्यापी हैं! सनातन हैं! ठीक उसी तरह जैसे कभी किसी काल में केकड़ी नरेश राजऋषि हुआ करते थे। आज कल उनकी जगह हर मोर्चे पर बाबा जी ही चर्चाओं में हैं। पेड़ का पत्ता भी उनकी इजाज़त के बिना नहीं फड़फड़ाता! पेड़ों पर उनकी मंजूरी से ही कोई परिंदा आशियाँ बना पाता है।*👍
*आज के ब्लॉग की मज़ेदार बात यह है कि जो हनुमान जी अपनी पूंछ में घासलेट का फोया लगाकर राजपूत भामाशाह मेघराज की बजरी से बनी लंका में आग लगाने में लगे हुए हैं! हल्ला बोल रहे हैं! वही हनुमान जी राठौड़ बाबा के सर्वप्रिय नेता हैं। उनके बिना हनुमान जी की बिटिया का जन्मदिन तक पूरा नहीं होता।*🙋♂️
*हनुमान बेनीवाल और राठौड़ बाबा की दोस्ती अजर अमर है। वीरू और जय की तरह!*👍
*हाल ही में जब राजपूतों के भामाशाह कहलाने वाले बजरी उधोगपति मेघराज रॉयल के समर्थन में राजपूत नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और हनुमान बेनीवाल पर न जाने कैसे कैसे आरोप लगाए! यह भी सिद्ध करने की कोशिश की , कि मेघराज जी से वह कुछ और चाहते थे ! नहीं मिलने पर उन्होंने हल्ला बोला!*🥱
*एक तरफ राठौड़ बाबा राजपूतों के मसीहा बनने में लगे हुए हैं वहीं वे अन्य जातियों के पुरोधाओं से भी दोस्ती क़ायम करके चल रहे हैं!आग से लड़ रहे हैं और पानी से समझौता करके चल रहे हैं।*😇
*महाराणा प्रताप बोर्ड का गठन करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वास्तव में राज्य के राष्ट्रभक्तों का दिल जीत लिया है। उनके इस एलान से राज्य के राजपूत अविभूत हैं।*🤪
*धन्यवाद ज्ञापित किया जाना जरूरी था! इसके लिए भीड़ जयपुर पहुंचानी थी! कैसे पहुंचती❓️कौन पहुंचाता❓️अरे भाई राठौड़ बाबा और कौन?*🤷♂️
*बैनीवाल से गहरी दोस्ती के साथ ही मेघराज जी से भी बाबा की दोस्ती कम गहरी नहीं! कहाँ किस धागे से सिलाई करनी है बाबा से बेहतर कोई नहीं जानता! बड़े रफ़ूगर हैं! उनकी तुरपाई देखने लायक होती है।*👌
*मेघराज जी ने बसों को भिजवाने का कर्तव्य वहन किया। राजपूत होस्टल अजमेर से राजपूत युवकों को भेजने की व्यवस्था हुई! राज्य भर से राजपूतों को आमंत्रित किया गया!*
*बाबा जी ने सभी बन्धु बांधवों को जयपुर अपने निवास पर बुलाया ताकि श्रेय का स्वाफ़ा उनके सर पर बंधे!भीड़ उनके निवास पर इकट्ठी हुई! यहीं पर राजपूती स्वाफे भीड़ के लिए वितरित हुए!*😉
*यहाँ से खा पी कर शाम को भीड़ बाबा जी के निवास से जुलूस के रूप में रवाना हुई! बाबा जी नेतृत्व की भूमिका निभा रहे थे।*😇
*ऐसा नहीं कि राज्य भर के राजपूत राठौड़ बाबा को अपना नेता मानते हों! उनसे बेहतर कई नेता हैं जो उनकी तरह नर्सरी में बड़े न होकर जंगलों में बड़े हुए हैं मगर बाबा जी की पटकथा में उनका कोई नाम कैसे हो सकता था❓️*
*मीडिया प्रबन्धन किया गया था! कई टी वी चैनल बाक़ायदा अनुबंधित थे!फर्स्ट इंडिया जैसे! प्रसारण होना ही था! हुआ!*🙋♂️
*जब मेरे पास राजपूतों की सभा का चित्र आया तो मुझे देख कर ताज़्ज़ुब हुआ कि मंच पर कोई भी बड़ा राजपूत नेता मौज़ूद नहीं था! राजेन्द्र सिंह गूढ़ा जैसे लोग न होकर रणवीर सिंह गूढ़ा जैसे नेता मंचासीन थे! राजेन्द्र सिंह गूढ़ा तो वह नेता हैं जिनके राठौड़ बाबा पर कई अहसान हैं। इन्कम टैक्स छापे के दौरान राजेन्द्र सिंह जी की भूमिका यादगार थी। धीरज गुर्जर भी तब बड़े क़िरदार रहे। अब मंच पर राजेन्द्र सिंह के ध्रुव विरोधी समझे जाने वाले उनके भाई मंच पर आसीन थे।*😨
*राजपूतों के मंच पर राठौड़ बाबा से बड़ा और कोई नेता क्यों मौज़ूद नहीं था❓️आख़िर क्या राजनीति थी❓️यह हर कोई समझ सकता है।*💁♂️
*यहां सबसे महत्वपूर्ण बात रही कि मंच पर राजपूत ही नहीं राठौड़ बाबा के और भी कई चिल्गोजों की फ़ौज़ संख्या बढ़ा रही थी।*😝
*ज़रा आप भी नज़र डालिये।*
*सी एम हाउस में आयोजित सभा में यूनुस शेख़!नौरत गुर्जर! सर्वेश पारिख! भीम सिंह चौधरी! निर्मल पारीख! जैसे राजपुत्र भी शामिल थे!*😨
*ज़ाहिर है कि खुशामदियों से घिरे बाबा जी हर मोर्चे पर अपने होने का अहसास तो करवा रहे हैं मगर राजपूत समाज में उनको अभी भी असली नेता नहीं माना जा रहा!*❌