करेडा ।
*परम पूज्या गुरुनी मैय्या श्री झंकार कुवर जी म. सा की 113 वीं जन्म जयन्ती तप त्याग स्वाध्याय द्वारा मनाई गई*
*साध्वी विनीत रूप प्रज्ञा ने कहा*
गुरुनी मैया का जीवन सरल, सहजता की प्रतिमूर्ति थी,जीवन में क्रोध क्या होता है यह शायद जानते ही नहीं थी कभी किसी को तू कह कर बुलाया हो एक छोटे से बच्चे को भी आप कह कर बुलाती थी
जो भी इनके दरबार में रोते-रोते आते तो हंसते-हंसते जाते थे खाली झोली लेकर आते तो भरी झोली ले जाते थे
आप जिसको भी घंटा कर्ण सुनते थे वह मृत्यु व्यक्ति भी जीवित हो जाता था
*साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा*
ने गुरुनी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए स्वधाय करवाया
*साध्वी चन्दन बाला ने* कहाँ उनका जन्म लंबिया के ग्राम मे हुआ आपके पिता का नाम मेघ राज जी और माता का नाम पतासी बाईथा
आपके जन्म से पहले आपके माता को झंकार की आवाज़ सुनाई दी थी इसलिए आप श्री का नाम झंकार कुंवर रखा गया
*साध्वी आनन्द प्रभा ने*
कि हमें चाहिए गुरुनी मैया के दिन स्वाध्याय करनी चाहिए 1 घंटा मौन रखना चाहिए और किसी को भला बुरा नहीं कहना चाहिए
जैसे अपनी आत्मा है वैसे दूसरों की आत्मा को समझना चाहिए
स्वाध्याय में डेढ़ सौ लोगों ने भाग लिया 5 लकी ड्रॉ खोले गए । इस दौरान बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी उपस्थित थे।