*कहां मिलेंगे अब अमीन सयानी जैसे एंकर जिनकी आवाज सुनने का सप्ताह भर रहता था इंतजार*
*बिनाका गीतमाला से भारत में घर-घर पहचाने जाने लगी अमीन सयानी की दिलकश आवाज*
*बात मन की-निलेश कांठेड़*
आज सुबह जैसे ही ये खबर मोबाइल स्क्रीन पर देखी कि आवाज की दुनिया के ‘बादशाह’ अमीन सयानी 91 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कर गए है वैसे ही मन में किशोरावस्था की वह स्मृतियां ताजा हो गई जब हर बुधवार बेसब्री से इन्तजार रहता था रात 8 बजने का ताकि रेडियो पर बिनाया गीतमाला सुनने को मिल सके। उस सुनकर ही जान पाते थे कि इस सप्ताह कौनसा नया गाने की एन्ट्री हुई ओर पहले-दूसरे पायदान पर कौनसा गाना है। मधुुर कर्णप्रिय गीत सुनने का शौक बचपन से अब तक कायम है लेकिन जो इन्तजार अमीन सयानी की मनभावन दिल जीत लेने वाली प्रस्तुति से भरपुर बिनाका गीतमाला का रहता था वैसा रेडियों पर शायद किसी कार्यक्रम का नहीं रहा था। उस समय बिनाका गीतमाला का क्या क्रेज होता था यह आज की गुगल सर्च वाली पीढ़ी शायद विश्वास भी नहीं कर पाएगी लेकिन जिस उस जमाने को देखा है वह अवश्य महसूस कर सकते और बयां भी कर सकते है। बुधवार का दिन आते ही फिल्मी गीतों को पसंद करने वालों को गीतों से अधिक इन्तजार रहता था बिनाका गीतमाला के माध्यम से अमीन सयानी दिलकश आवाज सुनने का। जो गीत उसमें बजते थे वह यूं तो फरमाईशी अन्य प्रोग्राम में भी रेडियो पर सुनने को मिल जाते थे लेकिन जिस अंदाज में अमीन सयानी उनके बजने से पहले माहौल रचते थे वह लोगों का दिल सीधे छू लेता था। इस गीतमाला से अमीन सयानी की आवाज भारत के घर-घर तक पहचाने जाने लगी। मैने कभी अमीन सयानी को प्रत्यक्ष देखा नहीं लेकिन उनकी आवाज दिल में सदा गूंजती रही है। उस जमाने में जो गीत बिनाका गीतमाला में पहले पायदान पर बजता था वह उस सप्ताह का सर्वाधिक हिट गीत मान लिया जाता था ओर वर्ष के अंतिम बुधवार को गीतमाला में जो गीत पहले पायदान पर होता था वह निर्विवाद रूप से उस वर्ष का सर्वाधिक हिट गाने का खिताब पा लेता था। हर फिल्ममेकर,संगीतकार,गीतकार ओर गायक से लेकर हिरो-हीरोईन का सपना होता था कि उनका गीत बिनाका गीतमाला में टॉप पायदान पर पहुंच सके। बिनाका गीतमाला में गाने का बज जाना उसकी लोकप्रियता आंकने का सबसे बड़ा पैमाना बन गया था। रात 8 बजे बिनाका गीतमाला शुरू होने से पहले आपस में शर्ते लगाई जाती थी कि इस सप्ताह कौनसा गाना कौनसे पायदान पर आएगा। मुझे अब भी याद है नाम फिल्म का चिट्ठी आई है वतन से, राम तेरी गंगा मैली का सुन साहिबा सुन,संजोग फिल्म का यशोदा का नंदलाला, अवतार फिल्म का चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है जैसे गीत अलग-अलग वर्षो में बिनाका गीतमाला के वार्षिक सरताज बने थे। बिनाका गीतमाला की लोकप्रियता उसमें बजने वाले गीतों से नहीं बल्कि अमीन सयानी की आवाज के बल पर थी। उस आवाज के देश-विदेश में असंख्य मुरिदों में से एक मैं भी रहा हूं। बदलते समय के साथ रेडियो भले पीछे छूट गया लेकिन अमीन सयानी की आवाज आज भी दिल में गूंजती है। अमीन सयानी जी के दुनिया छोड़ जाने पर मन उदास है ओर आवाज के उस जादूगर को दिल की गहराईयों से नमन करता हूं। एकंरिग में कॅरियर बनाने की सोच रखने वाले युवाओं के लिए अमीन सयानी की प्रस्तुति का अंदाज आदर्श है। उन जैसा व्यक्तिव सदा हमारे लिए प्रेरणादायी रहेगा इसमें कोई संदेह नहीं है।
*स्वतंत्र पत्रकार एवं विश्लेषक*
पूर्व चीफ रिपोर्टर,राजस्थान पत्रिका, भीलवाड़ा
मो.9829537627