अभिमान अच्छे अच्छे संतो के लिए भी दुखदाई होता है ,,,, प्रकाशानंद महाराज
गंगापुर
(रिपोर्टर दिनेश लक्षकार )
अखंड सहजानंद आश्रम के तत्वाधान में सुखवाल भवन पन्नाधाय सर्किल भीलवाड़ा के पास आयोजित रामकथा के तृतीय दिवस पर श्री श्री 1008 प्रकाशानंद जी महाराज बरखेड़ी वाले गुरुदेव ने बताया की नारद मुनि ने अपने तप बल से कामदेव पर विजय प्राप्त कर ली, लेकिन मन में अहंकार जाग गया। बस यही बात श्री हरि नारायण को पसंद नहीं आई। जगत के पालनहार से उनका आज रूप मांगा तो नारद को वानर का रूप दे दिया। इस बात से नाराज महामुनि नारद ने भगवान नारायण से कहा कि एक दिन यही वानर तुम्हारे काम आएंगे और यही से आरंभ होती है प्रभु श्रीराम के अवतार की कहानी।
लेकिन इतने बड़े संत में अभिमान का बीज जागृत होने से उन्हें कितना कष्ठ देखना पड़ा।
जबकि वो भगवान हरि के काफी प्रिय थे लेकिन ईश्वर
अपने बच्चो को कोई कमी और विकार नहीं देखना चहते है इसलिए उन्होंने तुरंत नारद को उनके अभिमान से मुक्त कर दिया। ओर स्वयं उसका भार अपने ऊपर ले लिया।
माता पिता,गुरु,ईश्वर हमे विकारों से दूर करते है।
कथा में हनुमान टेकरी के मंहत श्री 108 बनवारी शरण महाराज की सादर उपस्थिति रही । कथा में सहजानंद परिवार से पंडित विनोद कुमार शर्मा ,पंडित नंदलाल शर्मा,पन्नालाल कुमावत, मुकेश कुमार सैनी ,राधे-राधे भैया, नंदू भैया धर्मेंद्र सिंह, देवी लाल , चौथमल , भजन गायक राजेश पारीक ,विष्णु शर्मा,मनोज छिपा,लक्ष्मण दास एवं महिला मंडल उपस्थित था ।