उत्तम आकिंचन धर्म है अपरिग्रह को स्वीकार करना अर्थात मोह को त्याग करना सिखाता है।
महावीर वैष्णव महुआ
महुआ कस्बे में स्थित सकल दिगंबर जैन समाज महुआ द्वारा एलक 105 क्षीर सागर जी महाराज के सानिध्य में पर्युषण पर्व महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है आज उत्तम आकिंचन धर्म है अपरिग्रह को स्वीकार करना अर्थात आवश्यकता से अधिक इकट्ठा नहीं करना है उत्तम आकिंचन हमें मोह को त्याग करना सिखाता है। आत्मा के भीतरी मोह जैसे गलत मान्यता, गुस्सा, घमंड, कपट, लालच, मजाक, पसंद नापसंद, डर, शोक, और वासना इन सब मोह का त्याग करके ही आत्मा को शुद्ध बनाया जा सकता है। सब मोह प्रलोभनों और परिग्रहों को छोड़कर ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है। लेकिन मनुष्य हर समय धन के पीछे दौड़ता है जो मनुष्य जीवन के सभी परिग्रहों का त्याग करता है उसे मोक्ष सुख की प्राप्ति अवश्य होती है आज की शांतिधारा करने का सौभाग्य चन्दा देवी अनिल कुमार मुकेश कुमार कमलेश कुमार राजेश अजमेरा परिवार को प्राप्त हुआ इस कार्यक्रम में मुकेश सेठिया,सुरेश सोनी,मुकेश अजमेरा, एवं मंदिर कमेटी एवं प्रतिष्ठित समाज सेवक कमलेश अजमेरा दिनेश सोनी अनिल काला धर्मराज सुनील सेठिया आदि जैन समाज के लोग मौजूद थे।