शाहपुरा जिले को समाप्त करने के विरोध में रविवार को आहूत बंद का शहर में मिला-जुला असर देखने को मिला। त्रिमूर्ति चौक और सदर बाजार पूरी तरह बंद रहे, लेकिन, बाहरी इलाकों जैसे कलिंजरी गेट चौक और अन्य बस्तियों में दुकानें और बाजार खुले नजर आए।
बंद को लेकर शहर में पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। एसएचओ माया बैरवा के नेतृत्व में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई और जगह-जगह गश्त की जा रही थी। इसके बावजूद, संघर्ष समिति के पदाधिकारी बाजार में बंद कराने के लिए सक्रिय नजर नहीं आए, जिससे लोगों के बीच बंद को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही। कई लोग इसे स्वैच्छिक बंद बता रहे हैं।
शाहपुरा जिले को समाप्त करने पर आक्रोश
दरअसल, शनिवार को राज्य सरकार द्वारा शाहपुरा जिले को समाप्त करने की घोषणा के बाद से स्थानीय निवासियों में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। शाहपुरा के निवासी इसे अपने साथ छल और अन्याय मान रहे हैं। शनिवार देर रात त्रिमूर्ति चौक पर हुई बैठक में बंद की रणनीति तैयार की गई, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए।
गहलोत ने पूरी की थी सालों पुरानी मांग
गौरतलब है कि आजादी से पहले शाहपुरा एक स्वतंत्र रियासत थी, और तभी से इसे जिला बनाए जाने की मांग चलती आ रही है। हर बार सक्षम राजनीतिक नेतृत्व के अभाव में शाहपुरा न्याय से वंचित रह गया। संयुक्त राजस्थान के गठन के दौरान भी शाहपुरा को जिला बनाने की मांग अधूरी रह गई। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने शाहपुरा को जिला घोषित कर इस क्षेत्र के निवासियों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा किया था।
बंद के बावजूद उम्मीदें कायम
शाहपुरा के लोगों का कहना है कि वे इस निर्णय के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज बुलंद करेंगे। उनका मानना है कि शाहपुरा का जिला बने रहना न केवल उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव से जुड़ा है, बल्कि यह स्थानीय विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। कुछ अधिवक्ता इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की बात कर रहे हैं। संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कहा है कि वे अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार तक अपनी बात पहुंचाएंगे । साथ ही, शाहपुरा की जनता ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो आने वाले दिनों में बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
बाजारों में रही शांति
शाहपुरा बंद के बीच शहर के बाजारों में शांति बनी हुई है और पुलिस प्रशासन हर स्थिति पर नजर बनाए हुए है। अब यह देखना बाकी है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।