आसींद नृसिंह द्वारा के महन्त श्री के अस्थि कलश को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया ।
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) आसींद नृसिंह द्वारा के निस्पृह सन्त महन्त गोलोकवासी श्री केशवदास जी महाराज के अस्थि कलश पर शहरवासियों द्वारा पुष्पांजली अर्पित कर उन्हें श्रद्धा नमन किया गया। महन्त श्री केशवदास जी महाराज का पार्थिव शरीर दिनाङ्क 2 जनवरी 2025 को प्रातः बन्धन मुक्त हो गया था। उनकी अंतिम इच्छा अनुरुप उनकी अस्थियों को प्रयागराज संगम, में प्रवाहित करने हेतु नरसिंह द्वारा बगीजी रेल्वे फाटक भीलवाड़ा के सन्त श्री आशुतोष जी महाराज के सानिध्य में आसीन्द व भीलवाड़ा के भक्तजनों द्वारा ले जाया गया है। गुलाबपुरा 29 मील चौराहे पर गोपाल तिवारी (किशोरी टी वी), अरुण कुमार शर्मा (संस्कार भारती) सहित शहर वासियों ने अस्थिकलश पर पुष्पार्पण कर श्रद्धाञ्जली अर्पित की।
महन्त श्री केशव दास जी राम चरित मानस के मर्मज्ञ थे। साथ ही हिन्दी साहित्य में भी उनका गहन अध्ययन उनके प्रवचनों में सदा झलकता था। अनेक PHd शोधार्थी भिन्न भिन्न विषयों पर मार्ग दर्शन लेने हेतु उनके पास आया करते थे। महन्त श्री केशव दास जी का सांसारिक जन्म गोंडा जिला उत्तर प्रदेश में हुआ ।बचपन से ही ईस्वर अनुराग और भक्ति के संस्कार प्रबल थे और किशोर अवस्था में ही अयोध्या में आपने अपने गुरु स्थान पर दीक्षा ले ली थी। राम चरित मानस सहित अनेक धर्म ग्रन्थों का आपने गहन अध्ययन किया। वे व्याकरणाचार्य भी थे। अपने सन्यस्त जीवन में वे बाई जी राज कुण्ड, उदयपुर में प्रथमतः बिराजे।इसके पश्चात 1968 से 1985 तक आकोला (छीपों का )तहसील कोटड़ी (भीलवाड़ा) मे बनास नदी तट पर स्थित शिवालय में विराजे और इस स्थान को जागृत किया। तत्पश्चात् आप नरसिंहद्वारा आसींद में विराजे । पूज्यसन्त अत्यन्त निस्पृह स्वभाव के थे। उन्हें अनेक स्थानों / मठों के गुरुपद का आग्रह हुआ किन्तु अपनी सरलता से उन्होंने अस्वीकार कर दिया। सन्त समाज में उन्हें “शास्त्री जी” सम्बोधन से भी पुकारा जाता था।
आसींद नृसिंह द्वारा के महन्त श्री के अस्थि कलश को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया ।
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