
साहित्य परिषद् ने मनाया अहल्याबाई होलकर का जन्म शताब्दी वर्ष
✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
अखिल भारतीय साहित्य परिषद शाहपुरा शाखा द्वारा पुण्यश्लोक राजमाता अहल्याबाई होलकर का जन्म शताब्दी वर्ष धाकड़ छात्रावास कलिंजरी गेट शाहपुरा में मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत परमेश्वर प्रसाद ‘परम’ ने कीर्तन से की। अहल्याबाई होलकर का संक्षिप्त परिचय व अतिथियों का परिचय अखिल भारतीय साहित्य परिषद शाहपुरा शाखा के युवा प्रकोष्ठ प्रमुख ओम माली ‘अंगारा’ ने करवाया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता तोरण सिंह सहायक आचार्य प्रताप सिंह बारहठ महाविद्यालय शाहपुरा ने अहल्याबाई होलकर के जीवन व कृतित्व पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता ने बताया कि किस प्रकार अहल्याबाई 8 वर्ष की आयु में ही शिवस्त्रोतम् का पाठ किया करती थी। विवाहोपरांत पति खांडेराव के निधन के बाद अहल्याबाई ने प्रजाहित में न्यायपूर्ण शासन किया।
अहल्याबाई होलकर की न्यायप्रियता के बारे में मुख्य वक्ता ने कहा कि जब अहल्याबाई के पुत्र ने ही गो हत्या का अपराध किया तो अहल्याबाई होलकर ने अपने-पराये का भेद छोड़कर अपने पुत्र के लिए वही दण्ड निर्धारित किया जो एक गो हत्यारे को दिया जाना था। तोरण सिंह ने अहल्याबाई होलकर के जीवन के अनेक पक्षों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में प्रताप सिंह बारहठ महाविद्यालय के सहायक आचार्य धर्मनारायण वैष्णव, राजकुमार आचार्य, कैलाश धाकड़ व धाकड़ छात्रावास के सभी छात्र उपस्थित रहे।