
*फोटो या वीडियो दिखा आखिर कब तक होता रहेगा बहन-बेटियों की अस्मत से खिलवाड़*
*बेटियों से रेप ओर ब्लेकमेलिंग की घटनाओं पर सरकार ओर समाज नहीं बने रहे मूकदर्शक*
*टिप्पणी-निलेश कांठेड़*
हमारे जैसे 50-55 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोग अब भी अजमेर अश्लील फोटो कांड को नहीं भूले है जिसमें कई बेटियों की अस्मत से अश्लील फोटो के सहारे ब्लेकमेल कर खिलवाड़ किया गया था। उस दौरान सामाजिक प्रतिष्ठा बचाने के लिए कई पीड़ित बेटियों व उनके परिवारों द्वारा अजमेर शहर तक छोड़ने की बाते सामने आई थी। अब वैसा ही विचलित कर देने वाला परिदृश्य भीलवाड़ा जिले की सीमा से सटे बिजयनगर क्षेत्र में सामने आया है। यहां स्कूली छात्राओं को अपने जाल में फंसाकर अश्लील फोटो व वीडियो बनाकर उनको ब्लेकमेल कर देहशोषण व गेंग रेप करने ओर एक के माध्यम से दूसरी छात्रा को फंसाने जैसे कुकृत्य करने की बात भी सामने आई है। इस तरह की कुछ घटनाएं हाल के वर्षो में राजस्थान व देश के अन्य हिस्सो में भी सामने आई है पर आरोपियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होने से ऐसे शर्मनाक कारनामों में लिप्त रहने वाले बदमाशो ओर अपराधियों के हौंसले बुलंद हुए है। बिजयनगर के मामले में भी अजमेर अश्लील फोटो कांड की तरह सभी पीड़िताओं का सनातन धर्म से जुड़े होने ओर मुख्य आरोपियों का एक समाज विशेष से जुड़ा होना चिंताजनक पहलू है। यहां ये भी चिंतनीय है कि केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार के हर छोटी-बड़ी खामी पर अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक बयानबाजी में आगे रहने वाले प्रतिपक्ष के कई राजनेता ओर राजनीतिक दल बेटियों की अस्मत से खिलवाड़ के इतने संगीन हादसों पर चुप्पी साधे हुए है या बयान जारी करने की खानापूर्ति मात्र कर रहे है। ऐसे शर्मनाक निंदनीय घटनाओं को किसी धर्म या समाज से जोड़े बिना भी सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग उठाने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साधने या अनदेखी करने वाले जनप्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों ओर नेताओं को यह समाज ओर मतदाता कभी माफ नहीं करने वाला है। ऐसी घटनाओं की अनदेखी करने या हल्के में लेने वालों को ये भी सोच लेना चाहिए कि आज इनकी तो कल किसी ओर की भी बारी हो सकती है। अश्लील फोटो या वीडियो बनाकर ब्लेकमेल करने या रेप करने जैसी घटनाओं के जख्म नासूर बन जाए उनसे पहले उनका ठोस उपचार करना जरूरी है अन्यथा सामाजिक तानाबाना बिखरने के साथ आपसी सौहार्द भी खतरे में आएगा। ऐसी घटनाओं की निंदा करने ओर ठोस कार्रवाई की मांग उधर से भी उठनी चाहिए जिनसे आरोपियों का जुड़ाव सामने आया है। ऐसा नहीं किया गया तो उनकी भूमिका भी संदेह ओर शक के दायरे में आएगी ओर इस चर्चा को बल मिलेगा कि समाज के स्तर पर सामूहिक रूप से किसी धर्म विशेष की बेटियों व महिलाओं के शोषण की साजिशे रची जा रही है। सरकार हो या सामाजिक संस्थाएं सभी का कर्तव्य है कि ऐसे शर्मनाक जघन्य वारदातों में जो भी लिप्त है उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के साथ सामाजिक प्रताड़ना भी मिले ताकि भविष्य में वह ओर उनका साथ देने वाले ऐसे शर्मनाक कार्य करने की सोच भी नहीं सके। अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मिसाल पेश किए बिना भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकना आसान नहीं होगा। इस तरह के मामले में धर्म,समाज या जाति किसी भी आधार पर अपराधियों के खिलाफ किसी भी तरह की सहानभूति नहीं होनी चाहिए ओर सभी धर्म व 36 ही कौम से एक स्वर में ये आवाज बुलंद होनी चाहिए कि हमारी बहन-बेटियों की अस्मत व जिंदगी से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ओर उसे कठोरतम दंड मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा। ऐसी घटनाओं के बाद अभिभावकों को भी अपनी सजगता का दायरा बढ़ाना होगा ओर यह ध्यान रखना होगा कि उनके बेटे-बेटी स्कूल-कॉलेज के जाने के लिए घर से निकलने के बाद घर आने तक कहां जा रहे है ओर किसके साथ सम्पर्क में है। मोबाइल व सोशल मीडिया की आभासी दुनिया से बाहर निकल संतानों व परिवारजनों के साथ मेलमिलाप के लिए पर्याप्त समय निकालना होगा ताकि उनके सुख दुःख ओर मन की बात को जान सके ओर एक-दूसरे के सहयोगी बन वास्तविक सुख का आनंद उठा सके।
*स्वतंत्र पत्रकार एवं विश्लेषक*
पूर्व चीफ रिपोर्टर,राजस्थान पत्रिका,भीलवाड़ा