54 साल बाद होगी युद्ध जैसी मॉक ड्रिल, नागरिको को बताएँगे दुश्मन के हमलों से बचाव के तरीके
✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
पहलगाम की आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान के साथ किसी भी समय युद्ध के हालात बन गए हैं। ऐसे में लोगों को युद्ध की स्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार करने के इरादे से 7 मई को पूरे देश में एक बड़ी मॉक ड्रिल (अभ्यास) की जा रही है। ऐसा अभ्यास 54 साल बाद हो रहा है। इससे पहले ऐसी ड्रिल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय की गई थी।
गृह मंत्रालय ने देश के 244 जिलों में इस तरह का अभ्यास कराने के आदेश दिए हैं। इसमें वे सारे प्रमुख अभ्यास शामिल हैं जिनसे नागरिक युद्ध जैसे हालात के लिए खुद को तैयार करते हुए आपात स्थिति में सुरक्षित रहने के तरीकों से परिचित हो सकें।
इस अभ्यास के दौरान कुछ खास कदम उठाए जाएंगे जैसे कि सायरन बजाना, शहरों में लाइटें बंद करना (ब्लैकआउट), ज़रूरी इमारतों को शत्रु के हमले से बचाने के लिए ढंकना या छिपाना और लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की योजना को परखना।
क्या होगा इस मॉक ड्रिल (Mock Drill) में?
इन मुख्य बातों पर दिया जाएगा ध्यान दिया :
• हवाई हमले का सायरन बजाया जाएगा, जिससे लोगों को सतर्क रहने का संकेत मिलेगा।
• नागरिक सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें स्कूल के बच्चे और आम लोग सीखेंगे कि अगर हमला हो जाए तो कैसे सुरक्षित रहें।
• ब्लैकआउट किया जाएगा, यानी रात के समय सभी लाइटें बंद कर दी जाएंगी ताकि दुश्मन के विमान लक्ष्य न देख सकें।
• महत्वपूर्ण सरकारी संस्थानों और संयंत्रों को ढका जाएगा या अंधेरे में छिपाया जाएगा।
• निकासी योजना का अभ्यास किया जाएगा, जिसमें यह देखा जाएगा कि आपातकाल में लोगों को सुरक्षित जगह कैसे ले जाया जाए।
खतरे के हिसाब से जिलों का वर्गीकरण
देश के सभी जिलों को खतरे की गंभीरता के हिसाब से तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
• श्रेणी-1 (सबसे ज्यादा संवेदनशील): इनमें 13 जिले हैं, जहां परमाणु संयंत्र और बड़े सरकारी संस्थान हैं—जैसे कि महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु आदि के जिले।
• श्रेणी-2: इसमें 201 जिले हैं, जिनमें राजधानी शहर, सीमावर्ती इलाके और बड़े नगर आते हैं।
• श्रेणी-3: इनमें बाकी 45 जिले हैं, जहां खतरा तुलनात्मक रूप से कम माना गया है।
कौन-कौन होगा शामिल?
इस अभ्यास में कई सरकारी विभाग और स्वयंसेवी संगठन शामिल होंगे, जैसे:
• जिला प्रशासन और पुलिस
• सिविल डिफेंस वार्डन
• होम गार्ड्स, NCC, NSS और NYKS के स्वयंसेवक
• पैरामिलिट्री फोर्स के जवान
सायरन और ब्लैकआउट क्यों जरूरी हैं?
जब युद्ध के समय दुश्मन हवाई हमला करता है, तो सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया जाता है। इस सायरन की तेज आवाज सुनते ही लोग समझ जाते हैं कि खतरा है और उन्हें जल्दी से सुरक्षित जगह जाना चाहिए। साथ ही, ब्लैकआउट के दौरान शहर की सारी लाइटें बंद कर दी जाती हैं, ताकि दुश्मन के विमान शहर को न देख सकें और हमला न कर पाएं। यह तरीका दुश्मन की योजना को विफल करने में मदद करता है।
क्यों हो रही है ये ड्रिल?
1971 के बाद यह पहली बार है जब इतना बड़ा अभ्यास हो रहा है। मौजूदा समय में भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते फिर से तनावपूर्ण हैं। ऐसे में सरकार ने फैसला लिया है कि नागरिकों को युद्ध जैसी स्थिति के लिए मानसिक और व्यावहारिक रूप से तैयार किया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर लोग खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें।