*सांसद बहेड़िया की “दहाड़” रंग लाई*
– *दुर्गा जी को दिखाया “दर्पण”*
– *सुशील चौहान*
भीलवाड़ा। सांसद सुभाष बहेड़िया ने पहले ही कहा था कि भीलवाड़ा नगर परिषद की आयुक्त विभागीय स्तर के लिहाज से भी *आयुक्त के लायक* नहीं है। ये स्वायत शासन में तीसरे दर्ज़े की अधिकारी है और इन्हें दादागिरी से यहाँ *आय- युक्त* लगाया हुआ है। *अब कब तक खैर* मनाते। घड़ा भरा तो जाना ही था। नई जगह जहाँ जाना है उस पद को देखकर दुर्गा जी भी परेशान होंगी। कारण कहां परिषद की *आय- युक्त* ओर कहाँ *पालिका* की *नौकरी*। मगर अभी तो आर्डर ही तो हुए है। *बचाव की घंटियां* घनना रही है। जब तक कार्यमुक्त नहीं होते तक तो *हंटर* दुर्गा जी के ही चलेंगे।
सांसद बहेडिया ने तो पत्र लिखकर प्रशासन से स्पष्ट कह दिया कि तीसरे दर्जे की अधिकारी को आयुक्त जैसे पद पर लगा देने से परिषद का बंटाधार हो रहा हैं। मगर प्रशासन भी आय-युक्त को ऊपर से आशीर्वाद मिलने के कारण चुप था। जिला हाकम ने तो कई बार नगर की *सफाई व्यवस्था को लेकर नाराज़गी जताई और आड़े हाथों पर लिया*। जिला हाकम ने शहर की सफाई व्यवस्था का जायजा लिया साथ में दुर्गा जी भी थी। गांधी सागर व नालों की सफाई को लेकर भी जिला हाकम ने अपना नाराज़गी का *नजला* भी उतारा। मगर दुर्गा जी पर नाराज़गी और फटकार का कोई असर नहीं हुआ केवल चिकने घड़े पर पानी डालने वाली ही कहावत चरितार्थ हुई।
वहीं जिला हाकम की अध्यक्षता में स्मार्ट सिटी की बैठक में राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना में कोई अधिकारी रोड़ा अटकाता हैं तो उसे यहां से रिलीव करवा देंगे तब नगर विकास न्यास के पूर्व चैयरमेन लक्ष्मी नारायण डाड ने तो बैठक में साफ कह दिया कि स्मार्ट सिटी आयुक्त दुर्गा जी के होते सफल नहीं है सकती हैं। इस बात का बैठक में मौजूद अन्य सामाजिक व राजनीति से जुड़े लोगों ने भी समर्थन किया। उनका कहना था वर्तमान आय-युक्त के रहते स्मार्ट सिटी का सपना साकार नहीं होगा। मगर उस समय इस बात *आई गई* कर दी गई।
आय-युक्त दुर्गा जी से पहले देवीलाल जी बोचलिया थे। जो इस पद के लिए उपयुक्त थे। मगर उनके स्थान पर तीसरे दर्जे की अधिकारी को लाकर आसीन कर दिया। जबसे दुर्गा जी आई तबसे लोग उनसे नाराज़ थे। यहां तक पार्षदों ने भी धरना दिया। शहर में इनके कार्यकाल में अवैध निर्माण की बाहर आ गई, अतिक्रमण की भर मार हुई मगर आय-युक्त मौन रही।
अब *जयपुर ग्रेटर से आयुक्त आ रहे हैं। इनको यहां लाने की कहानी तो उनके पद भार ग्रहण करने के बाद ही सामने आएंगी। कहीं किसी के *पर करतने* की तैयारी तो नहीं है?
– *स्वतंत्र पत्रकार*