गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) मोनु सुरेश छीपा स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग
महामहोत्सव के अवसर पर
श्रीशिवमहापुराण कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने ‘ हर-हर ‘ शब्द का महत्व बताया।
‘हर-हर महादेव शम्भो, काशी विश्वनाथ गंगे।
काशी विश्वनाथ गंगे, काशी अमरनाथ गंगे। महामंडलेश्वर संत श्री दिव्य मोरारी बापू के कहा कि
हर शब्द जो है, यह बहुत कीमती शब्द है। हर शब्द का अर्थ होता है, प्रभु हमारे दुःख हर लो, दरिद्रता हर लो, संकट हर लो, विपत्ति हर लो। आप हर-हर महादेव कहते हैं इसका अर्थ है- हे देवों के देव,हे आदिदेव,हे महादेव प्रभु! हमारा दुःख हर लो,हमारी गरीबी हर लो, हमारी जड़ता और अज्ञान हर लो, हमारे दुःखों का नाश कर दो। केवल हर-हर कह देने से ही बोध हो जाता है। यह कहने की जरूरत नहीं है आपको, कि हमारा दुःख हरो, हमारा दरिद्र हर लो, केवल हर-हर बोल दो, उससे भगवान शंकर आपके
दुःख-दरिद्र, अशांति,क्लेश
आधि-व्याधि और रोग हर लेंगे, इसीलिए हर-हर शब्द बड़ा कीमती है। भगवान् नारायण के लिए हरि है। यहां हर है वहां हरि है। हर-हर महादेव, यह बहुत कीमती है। कथा मिलती है कि एक डाकू ने हर-हर को अपना कोड शब्द बना लिया था। किसी व्यक्ति को लूटना हो तो अपने साथी को संकेत देने के लिए वह हर-हर कह देता था।उसका हर-हर से मतलब यही था कि जो इसके पास है छीन लो। हर-हर के प्रभाव से शरीर छूटने पर वह दिव्य शिवलोक चला गया। इस दौरान श्री घनश्यामदास जी महाराज, दिव्य सत्संग मंडल के अरविंद माहेश्वरी, सहित पदाधिकारी व महिला श्रद्धालु मौजूद थे।