*‼️वशीकरण और काला जादू दिखा गए अशोक गहलोत‼️*😇
_*कैसे ❓️ये भी जान लें!!!*_🙋♂️
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*अजमेर जिले में कांग्रेस अजमेर उत्तर में किसको उम्मीदवार बनाएगी यह मामला आसानी से सॉल्व होने वाला नहीं लग रहा। गहलोत की नाक के बाल राठौर को टिकट नहीं दिए जाने की स्थिति में यहाँ से कांग्रेस अपने सनातन विरोधी होने की बात पर विराम लगाने की सोच रखते हुए एक साध्वी को चुनावी मैदान में उतारने पर गंभीरता से विचार कर रहीं है। यदि ऐसा होता है तो पूरे देश में कांग्रेस के सनातन विरोधी नहीं होने का मैसेज जाएगा।*👍
*वैसे तो अजमेर दक्षिण से भाटी परिवार के ही किसी सदस्य को टिकिट मिलना तय माना जा रहा था और मैंने “बात आज की” चैनल के टी वी शो ‘आर-पार’ में कल हीं द्रौपदी कोली का नाम भी कहीं ना कहीं चर्चा में होने की बात कहीं थी। ऐसा ही हुआ भी और अप्रत्याशित रूप से भाटी परिवार की राजनीती का चैप्टर क्लोज करते हुए कांग्रेस आलाकमान ने द्रौपदी कोली को टिकट दे ही दिया।👍*
*सबसे बड़ा पेच अजमेर उत्तर और किशनगढ में फंसा हुआ था । गहलोत डॉ विकास चौधरी को टिकट देने की ज़ुबान देकर कांग्रेस में शामिल करवा चुके थे और सचिन पायलट यहाँ अपने ख़ास समर्थक राजू गुप्ता के नाम को प्राथमिकता दे रहे थे। आखिरकार गहलोत ने यहाँ अपना काला जादू दिखाते हुए भारी विरोध के बावजूद विकास को टिकट दिलवा ही दिया।👍*
*अजमेर उत्तर में मामला गहलोत और सचिन के बीच न रहकर सोनिया और राहुल की मर्ज़ी पर पहुंच गया है। मामला शान्ति धारीवाल , महेश जोशी के साथ होने की वजह से धर्मेन्द्र राठौड़ से भी जुड़ा हुआ है। जो हश्र धारीवाल का होगा वही जोशी और राठौड़ का होगा।*🤷♂️
*यहाँ भी मामला अजमेर उत्तर में कुछ और ही अलग है। सचिन पहले ही कह चुके हैं कि धारीवाल और महेश जोशी यदि जिताऊ हैं तो उनको टिकिट दिया जाना चाहिए, भले ही उन्होंने सोनिया जी की अवहेलना ही क्यों न की हो। ज़ाहिर है कि सचिन धारीवाल और महेश जोशी के लिए फच्चर नहीं लगाएंगे मगर इसके बदले में वह अजमेर उत्तर से अपने ख़ास शागिर्द महेन्द्र सिंह रलावता की टिकट चाहते हैं। सचिन दो की जान बख़्शने की एवज़ में राठौड़ की बलि चाहते हैं । इधर अशोक गहलोत की जान इसी तोते में अटकी हुई है। वह सहमत नहीं और सिर्फ़ यही वज़ह है कि पाँच सूचियां जारी हो जाने के बाद भी यें तीनों नाम सूची में ज़गह नहीं पा रहे।*🙄
*अब आइए बता दूँ कि गहलोत इस बार करो या मरो के मूड में हैं। वह अपने किसी भी सरकार बचाने वाले का अहसान बकाया नहीं रखना चाहते। वफ़ादारी का पूरा ईनाम देना चाहते हैं। इसी के लिए उन्होंने वशीकरण वाला काला जादू दिखा दिया है।*🙋♂️
*सचिन को पता था कि गहलोत काला जादू जानते हैं इसलिए उन्होंने प्रियंका पर सम्मोहन मंत्र चला कर सोनिया, राहुल और खड़गे को विश्वास में ले लिया था। केंद्रीय चुनाव समिति में ऐसे मोहरे बिठवाये थे जो उनके हितों को साध सकें मगर हो उल्टा ही गया। रंधावा के बाद गोगोई भी गहलोत के हिप्नोटिज्म में आ गए हैं।*😨
*राहुल गांधी ख़ुद इस बात से दुखी हैं कि उन्होंने गोगोई को समझने में भूल कैसे कर दी। वह तो गहलोत का तोता बनकर मिर्ची खा रहे हैं।वह सारे नाम जो गहलोत चाहते हैं उन्होंने अपनी सिफ़ारिश के साथ अनुमोदित कर दिए हैं। ऐसे में सचिन पायलट ने अपनी नाराज़गी जता कर विरोध दर्ज कर दिया है। राहुल गांधी भी उनसे सहमत हैं। चुनाव के लिए नामाँकन भरने का सिलसिला शुरू हो गया है। तत्काल लिस्ट ज़ारी करना ज़रूरी हो गया है।इसलिए बहुत ज़ियादा रद्दोबदल अब नहीं किया जा सकता। यही गहलोत की चाल थी। पहले तो सूची में देरी करवाना फिर जल्दबाज़ी में अपने नामों पर मोहर लगवा लेना।*🤪
*गौरव गोगोई को राहुल ने अपना प्रतिनिधि बनाकर चुनाव समिति में रखा था मगर उनको भी गहलोत ने शीशे में उतार दिया है।*😇
*अब सवाल उठता है कि होगा क्या❓️❓️*
*अभी पूरी सूची ज़ारी नहीं हुई है । वो लिस्ट जिसमें सचिन और गहलोत के बीच कोई बड़ा विवाद नहीं है ज़ारी कर दी गई है । पेचीदा सारे नाम राहुल गांधी ही तय करेंगे।*💯
*अब यहाँ भी एक खेला होगा। जैसे ही सचिन और गहलोत के नामों के बीच आर पार वाली नौबत आएगी तो दोनों ही नेताओं से दूसरे नए नाम मांगे जाएंगे। बस! यहीं खेल ही जायेगा। अब अजमेर उत्तर के नाम पर! गहलोत और सचिन दोनों ने ही नए नाम अपनी जेब में रख लिए हैं।*😜
*यदि अजमेर उत्तर से गहलोत को अपने ख़ास धर्मेन्द्र राठौड़ के नाम की बलि देनी पड़ी तो वह रलावता और राठौड़ के अलावा कोई नया नाम रखेंगे। ऐसी स्थिति में जैसा मैंने ऊपर लिखा है एक चौँकाने वाला नाम सामने आएगा। सचिन से भी यह फॉर्मूला मनवाया जा सकता है। यह सिर्फ़ मेरा क़यास है । क्या होने वाला है? यह तो वक़्त ही बताएगा।*🙋♂️