श्री ठाकुर जी ने, श्री नरसीजी का हाथ पकड़ कर कहा, आप बेटे की बरात के साथ चलें, बाकी मैं संभाल लुंगा। = मोरारी बापू।
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग
महामहोत्सव में सात दिवसीय नरसी भगत की कथा एवं नानी बाई का मायरा कथा में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने श्रीनरसीजी भगत की कथा एवं नानी बाई का मायरा कथा में बताया कि श्री नरसी भगत के पुत्र सवाल राम की जब बारात चल पड़ी, तब श्री ठाकुर जी ने नरसी का हाथ पड़कर कहा कि ‘ आप बारात के साथ चलो, इतनी मेरी बात तो मान लो।’ मैं गुप्त रूप से सब प्रकार से देखभाल करता हुआ चलूंगा।श्रीनरसी जी ने कहा- ‘ प्रभो ! तुम जानो और तुम्हारा काम जाने, जो चाहो,सो करो। मुझे तो आनंद इसमें है कि- आपके इस सुंदर स्वरूप को हृदय में धारण कर लूं और कमर कसकर हाथ में करताल लेकर आपके गुणानुबाद गाऊँ। तब भगवान ने विचार की इसे कुछ होने वाला नहीं है। अतः संपूर्ण कार्यभार अपने ऊपर ले लिया। बारात चलकर समाधी के गांव को पहुंच गई। चारों ओर
यत्र-तत्र-सर्वत्र बाराती लोग सिविर लगाकर ठहर गये। कन्या पक्ष के लोगों को पता नहीं, वे चिंता करने वालों की विवाह की लगन समीप आ गई और बरात तब तक नहीं आई। पता लगाने के लिए आदमी गये तो उन्होंने देखा चारों ओर सुंदरता की घटाएं गिरी है, आश्चर्य से चकित होकर उन्होंने बारातियों से पूछा कि अति सुंदर यह बारात किसकी है। बारातियों ने कहा – अजी ! यह बारात श्री नरसी मेहता के पुत्र की है। कथा में श्री दिव्य सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, नंदलाल काबरा, एडवोकेट विजय प्रकाश शर्मा, सुभाष चन्द्र जोशी, मधुसूदन मिश्रा, रामेश्वर दास, हरिशंकर नागौरी, सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।