*”संत” का “कंट्रोल” … हुआ “अन कंट्रोल”*
*हरि ॐ हरि ॐ*
*सुशील चौहान*
भीलवाड़ा।शहर के सभी संतों की *हार्दिक ईच्छा* थी कि *उत्तर प्रदेश के “बाबा”* से मिलने की।
बातचीत हुई तय भी हुआ, *चलना है* और *क्यों न चले* *न जाने योगी जी फिर कब आएं*। लेकिन इन दिनों शहर की राजनीति के *खैरख्वाह* बने *कंट्रोल बाबा* को जैसे ही पता चला। उन्होंने सबको *फोन* कर डाले और बोले, *नहीं जाना है* और कारण पूछने पर *बगले झांकने* लगे। लेकिन योगी के साक्षात दर्शन कौन छोड़ता है भला। सभी पहुंच गए *योगी जी* के *दर्शन* किए,*प्रफुल्लित* भी हुए।* *स्मृति चिन्ह “घोंटा”* भी दिया। ये तो हुई जो दिखा, लेकिन अब कहानी पर्दे के पीछे की।हुआ यूँ कि सभी की कामना थी कि *योगी घर बैठे गंगा* की तर्ज़ पर मिल रहे है तो सभी संत एकमत हुए और प्लान भी बन गया लेकिन *कंट्रोल बाबा* को पता चला तो ये उनको *नागवार* गुज़रा। *संदेश दिया “हरि ओम”, “हरि ओम” “नहीं जाना” है*।लेकिन *दिल हैं कि संतों का मन माना ही नहीं*। संत नहीं माने और मिल आए *अपने योगी बाबा* से। अब चर्चा -ए-आम ये है कि चुकीं कंट्रोल बाबा ने चंद *राजनीति के अधकचरे लोगों* के कहने पर अपने *दरबार* में एक निर्दलीय को *शरण* दे रखी है। और भविष्य भी दिख रहा है तो वे *कैसे जाते* *नहीं गए* लेकिन बाकी ने उनका *कहा नहीं माना*। इसके *कारण* और *निवारण* दोनों पर *मंथन* अब स्वयं कंट्रोल बाबा कर रहे है। । *जय हो कंट्रोल बाबा की*.
*हरि ओम् हरि ओम्*
*स्वतंत्र पत्रकार*
*पूर्व उप सम्पादक, राजस्थान पत्रिका, भीलवाड़ा*
*वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब, भीलवाड़ा*
*Sushil Chouhan [email protected]*