*देर रात तक चला मण्डेला स्मृति अखिल भारतीय कविसम्मेलन*
*एक से बढ़कर एक कविताएं सुनाईं कवियों ने*
*बीकानेर के -राजेन्द्र स्वर्णकार को लोक साहित्य सम्मान से सम्मानित*
*विधायक बैरवा का किया सार्वजनिक अभिनंदन*
*लोककवि के नाम पर आडिटोरियम की मांग रखी गई*
मोनू सुरेश छीपा। द वॉयस ऑफ राजस्थान
शाहपुरा, 16 दिसम्बर
साहित्य सृजन कला संगम संस्थान के तत्वावधान में आयोजित 26 वें लोक कवि मोहन मण्डेला स्मृति अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में संस्था द्वारा स्थापित ‘‘लोक कवि मोहन मण्डेला स्मृति लोक साहित्य सम्मान’’ इस वर्ष राजस्थानी भाषा के.ख्याति प्राप्त साहित्यकार बीकानेर के राजेन्द्र स्वर्णकार को दिया गया। सम्मान नकद राशि श्रीफल, शॉल, उपरणा, पगड़ी एवं मान पत्र भेंट करके किया गया।
*अतिथियों का अभिनन्दन -*
कार्यक्रम की अध्यक्षता शाहपुरा के नगर परिषद् सभापति रघुनन्दन सोनी ने की शाहपुरा जिला कलेक्टर टीकम चंद बोहरा कार्यक्रम के खास मेहमान रहे। पूर्व व्यापार मण्डल, अध्यक्ष लालूराम जागेटिया एवं अध्यक्ष राजस्थान तैराकी संघ एवं उपाध्यक्ष भारतीय तैराकी संघ अनिल व्यास, राजाधिराज बनेड़ा गोपाल चरण सिंह, बनेड़ा प्रधान प्रतिनिधि विजेन्द्र सिंह, केविएसएस अध्यक्ष प्रद्युमन सिंह, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कन्हैया लाल धाकड़ तथा एम एल डी शिक्षण संस्थान के चैयरमेन चन्द्र प्रकाश दुबे सहित सभी विशिष्ट अतिथियों का संस्था परिवार की ओर से माला एवं स्मृति चिन्ह देकर अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम में बालकृष्ण बीरा, रमेश मारू, राजाराम पोरवाल, अविनाश शर्मा, प्रियकान्त शर्मा, प्रकाश दीक्षित, संस्था उपाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, शिवरतन दाधीच, शिव प्रकाश जोशी, सुनील भट्ट, सत्यव्रत वैष्णव, तेजपाल उपाध्याय, संचिना अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक सभी ने कवियों एवं अतिथियों का स्वागत किया।
विधायक लालाराम का सम्मान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधानसभा क्षेत्र शाहपुरा-बनेड़ा के नवनिर्वाचित विधायक लालाराम बैरवा का संस्थान की ओर से नागरिक अभिनन्दन किया गया। मंच पर केक काट कर बैरवा के जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएं दी। अपने उद्बोधन में कहा कि “मैं शाहपुरा क्षेत्र विकास -विस्तार में सदैव आशाओं पर खरे उतरने की कोशिश करूंगा।”
कार्यक्रम की संचालिका अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री डॉ.कीर्ति काले एवं संयोजक डॉ.कैलाश मण्डेला ने पूर्व विधायक कैलाश मेघवाल द्वारा शाहपुरा में लोककवि मोहन मण्डेला जी के नाम पर आडिटोरियम बनाने की घोषणा की क्रियान्विति के लिए विधायक बैरवा को स्मरण कराते हुए पत्र दिया।
देर रात्रि 3.00 बजे तक चले कविसम्मेलन में देश के नामचीन कवियों ने एक से बढ़कर एक रचना प्रस्तुत कर श्रोताओं को बांधे रखा। कार्यक्रम की शुरूआत माण्डलगढ़ से राजस्थानी एवं हिन्दी गीतों के गीतकार मोहनपुरी की सरस्वती वंदना ‘सरस्वती मां ज्ञान दे से की एवं उन्होंने ‘मन की पटरी से होकर धड़-धड़ करती रेल चली’ सुमधुर गीत सुनाया। इन्दौर से आए हास्य कवि रोहित ‘झन्नाट’ ने एक से बढ़कर एक हास्य फुलझडियों से सभी को हास्य में सराबोर कर दिया।
उसके पश्चात कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ. कैलाश मण्डेला ने परम्परा अनुसार लोक कवि मोहन मण्डेला के लिखे कई श्रेष्ठ गीतों में से श्रृंगार का बेहतरीन गीत ‘जोड़ी रूपाळी’ खेत आंगणे रे, ढोला-मारू बीज बोय, या जोड़ी जुड़ी रे बेजोड़, जोड़ी रूपाळी सुनाकर सभी को आनन्दित कर दिया।
कोटा के बेहतरीन गीतकार डॉ. आदित्य जैन ने “अपनों में भी सबसे अपनी रही, आज होकर अमानत पराई गई, भाई रोया कि लड़ने का कारण गया, बाप रोया कि मेरी दवाई गई” गीत सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। हास्य कवि दिनेश बंटी की हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों पर एक से बढ़कर एक हास्य फुलझड़ियों पर श्रोताओं ने खूब ठहाके लगाए। आगरा से आए हास्य गीतकार डॉ. प्रशान्त देव ने “तमाम रात यही सोचते हुए गुजरी कि मोड़ कौनसा आएगा अब कहानी में” तथा “कैसे भूलंगा बचपन, कैसे भूलूंगा प्यार, वो बहकी-बहकी बातें वो सिगरेट चारमीनार”, “अपनो पर ही वार करेंगे पापाजी, खुद मौसी से प्यार करेंगे पापाजी” जैसे हास्य गीतों से श्रोताओं को खूब आनन्दित किया।
श्रेष्ठ साहित्यकार और कवि जिला कलेक्टर टीकमचंद बोहरा ने वर्तमान सामाजिक संदर्भों को रेखांकित करते हुए कुत्तों के प्रति प्रेम और अपनों से उदासीनता पर अपनी शानदार कविता प्रस्तुत कर कटाक्ष किया। मां की ममता पर कविता प्यार अंधा होता है सुनाकर सभी का दिल जीत लिया।
लूणकरणसर से राजस्थानी भाषा के ओजस्वी कवि छेलु चारण छैल ने “मीरां रै गीतड़लां गूंजी दादू कथा कहाणी है, पीथल री पाती रा आखर राखे पत रो पाणी है” को श्रोताओं से भरपूर दाद मिली।
गीतकार सत्येन्द्र मण्डेला ने “पीळो रंग तो ई जगती में मान बढ़ावै रे” सुनाकर कर मंत्रमुग्ध कर दिया। बारां के वीर रस के कवि राजेन्द्र पंवार ने “मां सख्त होकर भी ना क्रूर होती है, मैली है मिट्टी कभी ना धूल होती है, पांव से रोंदो मत शीष पर रखो इसे दोस्तों, देश की मिट्टी सिंदूर होती है।” सुनाई जिसे बहुत पसंद किया गया। पचेवर टोंक के शायर महबूब अली ‘महबूब’ ने अपनी ग़ज़ल और शेरों से अपनी खास प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन कर रही डॉ. कीर्ति काले ने श्रृंगार के बेहतरीन गीतों से कवि सम्मेलन को नई ऊंचाईयां प्रदान की उनका श्रृंगार गीत “मद भरी रात को प्यार की बात को चांदनी में नहाकर निखरने तो दो” एवं “अयोध्या में अगर ढूंढो तो श्रीराम मिलते हैं, जो वृंदावन में अगर ढूंढों हमें घनश्याम मिलते हैं, अगर काशी में ढूंढोगे तो भोलेनाथ मिल जाएं, मगर मां-बाप के चरणों में चारों धाम मिलते हैं।” तथा “याद कोई करता है, हिचकियां बताती है, कौन पास कितना है, दूरियां बताती है।” सुनाकर कार्यक्रम को परवान चढ़ा दिया।
लोक साहित्य सम्मान से सम्मानित गीतकार एवं साहित्यकार बीकानेर के कवि राजेन्द्र स्वर्णकार ने लागी बिरखां री जड़, तड़‘र तड़‘र तड़, तथा उनका प्रसिद्ध गीत ‘दिवटियों’ सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि डॉ. कैलाश मण्डेला ने श्रृंगार के बेहतरीन गीत “आंगळयां री पौरां म, नैणा रा डोरां म, रम गयो, रम गयो, रम गयो रे, गम गयो, गम गयो, गम गयो रे सुनाकर सभी को रोमांचित कर दिया। उनकी हाल ही में प्रकाशित ‘हेली सुणजे ए’ पुस्तक में से प्रसिद्ध रचना “हेली मेळो लाग्यो भारी, कांई लैवण री मन धारी” सुनाकर आयोजन को शिखर पर पहुंचा दिया। इसके पश्चात सभी ने दो मिनट परम्परा अनुसार करतल ध्वनी से लोक कवि मोहन मण्डेला को श्रद्धांजलि अर्पित की। अंत में संस्थान अध्यक्ष जयदेव जोशी ने सभी का आभार प्रकट किया।