*” क्या होगा अगर अशोक कोठारी लड़ते हैं लोकसभा चुनाव..? “*
किसी सामान्य व्यक्ति को जीमने आने का न्यौता देकर कुछ ही घंटों बाद यदि यह कह दिया जाए कि अब आप हमारे यहां खाना खाने मत आना तो उसके दिल पर भला क्या गुजरेगी ? अब वो आदमी कोई ‘ ऐरा गैरा नत्थू खैरा ‘ न होकर उस भीलवाड़ा से निर्दलीय विधायक के रूप में जीतकर आया हो जहां के बारे में सालों से यह धारणा प्रचलित है कि इस विधानसभा क्षैत्र से बीजेपी यदि काले कुत्ते को भी टिकट दे दे तो वो जीत जाएगा । ऐसे असाधारण जनप्रतिनिधि अशोक कोठारी को पहले तो भाजपा में शामिल होने के लिए जयपुर आमंत्रित करना और कुछ ही देर पश्चात ‘ थोड़ा इंतजार करो ‘ कह देना क्या भीलवाड़ावासियों का अपमान नहीं है ?
यहां गौरतलब बात यह है कि लेखक आरएसएस के प्रथम वर्ष शिक्षित स्वयंसेवक हैं और इनके जैसे हजारों स्वयंसेवकों व विश्व हिंदू परिषद् , बजरंग दल , भारतीय मजदूर संघ , सेवा भारती , भारत विकास परिषद् तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् जैसे सैकड़ों विविध संगठनों के कार्यकर्ताओं को अशोक कोठारी के साथ हुए ऐसे रुखे व्यवहार ने भीतर तक झकझोर कर रख दिया है । विशेषकर तब जब लोकसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है और स्वयं नरेंद्र भाई मोदी भी ईमानदार व निःस्वार्थ भाव से समाजसेवा करने वाले जनप्रतिनिधियों को आगे बढ़ाने को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं । लिहाज़ा वस्त्रनगरी के अधिकांश वाशिंदे यह जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री के सांचे में एकदम फिट बैठने वाले अशोक कोठारी को वो कौन लोग हैं जो भाजपा में आने से रोकना चाहते हैं ? लोगों के मन में यह भी जिज्ञासा है कि भीलवाड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे रामपाल शर्मा व रिजु झुनझुनवाला और समीपवर्ती चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक के रूप में जीतकर आए चंद्रभान सिंह को यदि बीजेपी में शामिल किया जा सकता है तो फिर देशभर में गौ सेवक के रूप में विख्यात अशोक कोठारी में क्या बुराई है ? कहीं ऐसा तो नहीं कि निर्दलीय के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने की धमकी नहीं देने संबंधी अशोक कोठारी की भलमनसाहत ही उनके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की राह में रोड़ा बन रही है ? यदि वास्तव में ऐसा है तो जिम्मेदारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि भीलवाड़ा – हिंडोली लोकसभा क्षेत्र की वर्तमान परिस्थितियां भी 2023 में हुए भीलवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के मानिंद ही है । ऐसे में यदि जीते हुए घोड़े अशोक कोठारी पर पूर्व की ही भांति निर्दलीय के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने का दांव चल दिया गया तो वो भाजपा की जीत का गणित गड़बड़ा सकते हैं । खासकर तब जब अशोक कोठारी की छवि संपूर्ण भीलवाड़ा जिले में गौशालाएं संचालित करने वाले और हर वर्ग तथा जाति – बिरादरी के आमजन की तन – मन – धन से सेवा करने वाले समाजसेवी के रूप में प्रख्यात है ।
सारांश यही कि भाजपा के स्थानीय कर्णधार मोदी , योगी और अमित शाह के ‘अबकी बार चार सौ पार ‘ नारे का मर्म समझें और निजी स्वार्थवश ऐसा कोई कदम न उठाएं जो भाजपा के राष्ट्रीयस्तर के नेताओं के स्वप्न को साकार नहीं होने दे । ( इति )
*पत्रकार ओम कसारा समय की पुकार मीडिया ग्रुप के सीईओ हैं और पूर्व में दैनिक भास्कर , पंजाब केसरी , ईटीवी राजस्थान व राष्ट्रदूत में वर्षों तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं ।*