*गांधी सागर तालाब पर फिर होगी “नोटों की बारिश”…*
*- सुशील चौहान -*
भीलवाड़ा. *गांधी छाप* तालाब यानि गांधी सागर तालाब. इस तालाब की *सूरत* सुधारने मे नेताओं की कितनी दिलचस्पी है। जरा गौर फरमा ले। नगर परिषद की इस संपत्ति को *सुधारने,* इसको *खूबसूरत* बनाने और *नासूर* बनी गंदगी को साफ करने के नाम पर पर अब तक करोड़ों रुपये परिषद खाते से खर्च किए जा चुके है। लेकिन *ये कैसी गंदगी है* *जो साफ़* नहीं होती। परिषद का लगभग *हर बोर्ड* इसको साफ करना चाहता है। तालाब पर पैसा पानी की तरह बहाता है, लेकिन *गांधी सागर तालाब है कि “मानता* ही नहीं। हर साल बार – बार गंदगी अपनी गोद में समेट लेता है। और चर्चा है कि साफ करने के नाम पर इसका पैसा अधिकारी व नेता समेट लेते है।
यह *गांधी छाप* *अरे अरे गलती हो गई* *गांधी छाप नहीं गांधी सागर तालाब*। जो कभी हमारे शहर की शान था। जहां शहर के लोग नहाने के लिए तालाब में गंठे लगाते थे और आस पास की महिलाएं कपड़े धोने आती थी। अब ना तो कोई गंठे लगाता हैं और ना ही महिलाएं कपड़े धोने आती हैं। अब वैसी बात नहीं रही। क्योंकि *हमारा गांधी सागर तालाब अब मैला हो गया*।
पिछले बीस साल से मैं तो यही सुनता आ रहा हूं कि गांधी सागर तालाब अब खूबसूरत होगा। लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी इसकी दशा नहीं सुधरी।
जो भी इसकी रखवाले संस्थान यानी नगर परिषद की गद्दी पर आसीन हुआ। उसने *समंदर की तरह इसका मंथन* किया। मंथन में तो तालाब को शहर का गंदा पानी, कचरा और घरों में खंडित हुई भगवान की तस्वीरें, मालाएं ही हिस्से में आई।बाकी रखवालों के हिस्से में गांधी छाप की मेहरबानी खुल कर बरसी। परिषद के आला और ठेकेदार तो निहाल हो गए।
हमारे सम्माननीय गौ भक्त विधायक कोठरी जी ने गांधी सागर तालाब की रखवाली करने वालों की दहलीज लांघ कर हिम्मत दिखा कर इसकी बदहाली को विधानसभा के पटल पर बयां की। मैं उनका आभारी हूं।इसके लिए बधाई के पात्र हैं। मगर उनकी आवाज *नक्कारखाने* में दब गई। क्योंकि सम्बंधित विभाग के मंत्री जी ने वो ही सदन में बताया जो गांधी सागर तालाब के रखवालों ने उन्हें बताया । उनका जवाब सत्यता से काफी *परे** हैं। सीवरेज व आस पास के क्षेत्र का गंदा पानी बदस्तूर तालाब में आना जारी है।
अरे विधायक साब गौ माता और गांधी सागर से महत्वपूर्ण हैं आपके अधिकार क्षेत्र के *नगर विकास न्यास के मुआवजे की फाइलों का गायब* होना हैं । उसके लिए तो शायद आपके *सलाहकारों* ने मौन धारण करने की ही *सलाह* दी होगी। और आप भी क्यों न्यास के खिलाफ बोलेंगे? क्योंकि जिनके दामन में दाग लगने वाले हैं वो तो गौभक्त विधायक जी के हम *निवाला* हैं। उन्हीं की मेहरबानी से विधानसभा की दहलीज पर पहुंचे।
खैर अब बात करें गांधी सागर तालाब की। जो भी *नया जिला हाकम* आया उसने आते ही इसका *दीदार* किया और कहां इसकी दशा सुधरनी चाहिए। इसके बाद हाकम ने इस ओर दुबारा आकर देखा तक नहीं। हां एक *हाकम शुरुचि जी* ने जरूर *रुचि* दिखाई। मगर वो इसे संवारती इससे पहले यहां से चली गई। आज टापू के हाल देख लो। बबूल की लम्बी लम्बी झाड़ियों से अटा पड़ा हैं।
नगर परिषद जिसका जिम्मा हैं वो झाड़ियां नहीं हटा पा रहा हैं। वो कैसे इसे *पिछोला झील* जैसा बनाएंगा। यह विधायक जी जाने या मंत्री जी?
अब जरा बात कर ले *तथाकथित स्वयं भूं पर्यावरण विद* की। जो पर्यावरण को सुचारू रखने के *मसीहा* बनते हैं। जब भी एनजीटी की टीम गांधी सागर तालाब के लिए आती तो *स्वयं भूं पर्यावरण विद “हरा पीला कुर्ता” पहन कर “शक्तिमान” बन कर प्रकट हो जाते हैं ।ताकि समाचार पत्रों में ही उन्हीं का मुखड़ा दिखे। एनजीटी वाले भी स्वयं भू पर्यावरण विद की ओर से *”चांदी की थाली” में “परोसा” गया “आदर सत्कार”* पाकर अपनी खानापूर्ति करके लौट जाते हैं। सागर में कचरा नहीं जाए इसके लिए लोहे की रेलिंग लगाई। वो भी लोग चुरा कर ले गए। अब वहां फुटपाथ पर रह रहें लोगों के लिए गांधी सागर तालाब का एक हिस्सा *सुलभ काम्प्लेक्स* बन गया।
गांधी सागर तालाब में 1995 अब तक लगभग आठ करोड़ रुपए समां चुके हैं।इस पर परिषद ने हाल ही में हुई बैठक में *करेला और नीम चढ़ा* की कहावत को चरितार्थ करते हुए गांधी सागर तालाब के रखरखाव के पांच करोड़ के प्रस्ताव पर *मोहर* लगवा ली । वहीं दूसरी ओर स्वायत्त शासन मंत्री ने आठ करोड़ रुपए डीपीआर बनाने के लिए स्वीकृत करने की जानकारी गौभक्त विधायक को दी। यानी आठ करोड़ रुपए तो इसी बात पर खर्च होंगे कि कैसे और कितने रुपए की योजना होगी गांधी सागर तालाब को सुधारने के लिए।
*अब भाई मुझे यहां निर्मल बाबा की याद आ गई जो अपने भक्तों को कहते हैं लगे रहो “कृपा बरसेगी” “कृपा बरसेगी”* तो *भाई गांधी सागर तालाब बना ही इसके रखवालों पर “कृपा बरसाने” के लिए ही हैं*।
– *स्वतंत्र पत्रकार*
– *वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान पत्रिका, भीलवाड़ा*
– *वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब, भीलवाड़ा*
– *sushil [email protected]*
गांधी सागर तालाब पर फिर होगी “नोटों की बारिश”…*
Leave a comment
Leave a comment