*शहर में हाथ ठेलों का अतिक्रमण बना सिरदर्द, यातायात पुलिस वीआईपी डुयुटी व धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त, इधर अतिक्रमी मस्त।*
*(राजेश जीनगर, भीलवाड़ा)*
शहर के अव्यवस्थित यातायात को सुचारू करने और शहरवासियों को सुगम यातायात को लेकर मुख्य चौराहों पर तैनात ट्रेफिक पुलिसकर्मियों को आए दिन वीआईपी विजिट डुयुटी व धार्मिक कार्यक्रमों की व्यवस्थाओं में व्यस्त कर दिए जाने के कारण शहर की यातायात व्यवस्था के हालात खराब हो जाते हैं तो वहीं लगभग 100 जनों के स्टाफ के बजाय अभी महज 07 एएसआई, 13 दिवान और 20 पुलिसकर्मी ही शहर की यातायात व्यवस्था की कमान संभाल रहे हैं। बीते दिनों में कुछ यातायात पुलिसकर्मी भी सेवानिवृत्त हुए हैं, जबकी अगले माह और होने जा रहे हैं। ऐसे में प्रर्याप्त जाब्ता नहीं रहने से सारा भार मौजूद पुलिसकर्मियों पर ही है। महात्मा गांधी हॉस्पिटल के मुख्य द्वार के स्थाई व अस्थाई अतिक्रमण की बात करें तो चिकित्सालय प्रशासन इस और बिल्कुल गंभीर नजर नहीं आता है। जिसके चलते इमरजेंसी के दौरान एंबुलेंस को भी रास्ता नहीं मिल पाता है। यहां पर वर्षों से मणिहारी आईटम बेचने वाली महिलाओं की मानें तो उनका कहना है की हाथ ठेलों ने हमारा भी कमाकर खाना दुभर कर दिया है। हाथ ठेले वाले झगड़े पर उतारू हो जाते हैं, लेकिन जगह से टस से मस नहीं होते। यातायात प्रभारी सुरजभान सिंह ने बताया की यातायात भार व्यवस्था सुदृढ़ करने को लेकर यातायात थाने में जाब्ता बढ़ाने को जिला पुलिस अधीक्षक को अवगत करवाया गया है। उम्मीद है की थाने को और जाब्ता मिलने से अव्यवस्थित यातायात की शिकायतों में कमीं आएगी। जबकि हॉस्पिटल पीएमओ अरूण गौड़ की मानें तो उन्होंने हॉस्पिटल मुख्य द्वार से अतिक्रमण हटाने को लेकर नगर निगम को कितनी ही बार लिखित में शिकायत दर्ज करवाई है, लेकिन कभी किसी तरह की राहत नहीं मिल पाई।
*प्रशासन के लिए यहां सिरदर्द साबित होने के साथ नासुर भी बन चुके हैं, हाथ ठेले …*
शहर के मुख्य चौराहे जिनमें मुख्य कोतवाली चौराहा, नगर परिषद चौराहा, सुचना केन्द्र चौराहा, महावीर पार्क, महात्मा गांधी हॉस्पिटल मुख्य द्वार, छीपा बिल्डिंग के पीछे, अग्रवाल उत्सव भवन रोड़, सांगानेरी गेट, रोडवेज डिपो चौराहा, हरिशेवा धाम के पीछे बाहेती पैलेस रोड़, अजमेर तिराहा, युआईटी के सामने जहां अस्थाई रूप से काबिज हाथ ठेले सिरदर्द साबित होने के साथ नासुर भी बन चुके हैं।
*सिफारिशी फोन दे रहे अतिक्रमण को बढ़ावा*
नाम नहीं बताने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया की ट्रेफिक पुलिस हो या नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ जाब्ता, ज्यों ही ये किसी तरह अतिक्रमण को हटाने पहुंचते हैं। किसी ना किसी प्रभावशाली, सफेद कॉलर या फिर बलशाली का संबंधित अधिकारी के पास फोन आ जाता है की *”गरीब आदमियों को क्यों परेशान कर रहे हो, इन्हें कमा खाने दो, मोटी मोटी मछलियों को पकड़ो, इन्हें क्यों परेशान कर रहे हो”* ऐसे में अतिक्रमण दस्ते और ट्रेफिक पुलिसकर्मियों को बेरंग लौटना पड़ता है। इस तरह सिफारिशी फोन भी कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करते हैं और वो कार्यवाही नहीं कर पाते।
*शहर में हाथ ठेलों का अतिक्रमण बना सिरदर्द, यातायात पुलिस वीआईपी डुयुटी व धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त, इधर अतिक्रमी मस्त।*
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