*विधायक ने की लोक कवि मोहन मण्डेला के नाम से शाहपुरा में ऑडिटोरियम बनाने की घोषणा**
*देर रात तक चला कविसम्मेलन*
*खूब आनन्दित किया कवियों ने*
*बाबू बंजारा को लोक साहित्य सम्मान से नवाजा गया।*
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✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
शाहपुरा 01 दिस.
साहित्य सृजन कला संगम संस्थान के तत्वावधान में आयोजित लोक कवि मोहन मण्डेला स्मृति 27 वें कविसम्मेलन में श्रोताओं खचाखच भरे श्री राम टॉकीज के हॉल में सभी कवियों ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को आनन्द से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शाहपुरा-बनेड़ा क्षेत्र के विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने शाहपुरा जिले में एक टॉउन हॉल की कमी को महसूस करते हुए शीघ्र ही 1000 व्यक्तियों की क्षमता वाला टॉउन हॉल का निर्माण किये जाने एवं लोक कवि मोहन मण्डेला के नाम पर उसका नामकरण करने तथा शीघ्र इसके लिए बजट पास कराने की घोषणा की जिस पर श्रोताओं ने खड़े होकर करतल ध्वनी से इस घोषणा का स्वागत किया। विधायक बैरवा ने क्षेत्र में किए जा रहे विकास के कार्यों को भी रेखांकित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता नगरपरिषद् सभापति रघुनन्दन सोनी ने की। विशिष्टअतिथि एमएलडी एकेडमिक ग्रुप के चेयरमेन चन्द्रप्रकाश दुबे एवं पुलिस उप अधीक्षक ओमप्रकाश विश्नोई का संस्था द्वारा मार्ल्यापण कर स्वागत-सत्कार किया गया।
राजस्थान भाषा के हाड़ौती अंचल के लोक रंजन के सुप्रसिद्ध बाबू बंजारा- बारां को वर्ष-2024 का ‘‘लोक कवि मोहन मण्डेला लोक साहित्य सम्मान’’ से नवाजा गया। सम्मान में श्रीफल, शॉल एवं नकद राषि एवं मानपत्र आदि भेंट कर संस्थान परिवार एवं अतिथियों द्वारा भेंट किए गए। मान पत्र का वाचन संस्थान अध्यक्ष जयदेव जोशी ने किया।
देर रात तक चले इस कविसम्मेलन में पहली बार ऑडिटोरियम के रूप में श्रीराम टॉकीज में हुए इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाओं सुनाई जिस पर श्रोताओं ने कभी खूब ठहाके लगाये तो कभी उनकी आंखें नम मिली। सर्व प्रथम हास्य कवि दिनेश बंटी की कविताओं एवं हास्य फुलझड़ियों से ही हॉल ठहाकों से गूंजने लगा। उन्होंने अपनी नई कविता ‘पड़ौसन’ सुनाकर श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। उसके बाद राजनगर के युवा शायर सम्पत कबीर ने ‘‘भला हो हिज्र का जिससे हमारी कौम जिन्दा है सभी को इश्क मिल जाता तो शायर कौन बनता फिर’’ तथा ‘‘ किसी भी दिन नदी पी जायेगी अचानक हमें, इस मिट्टी के पुल पर इतना इतराना नहीं।’’ जैसी दमदार शायरी पढ़ी तो श्रोताओं से वाह आह की दाद मिली। नाथद्वारा से आए हास्य एवं श्रृ ंगार रस के विलक्षण गीतकार लोकेष महाकाली ने सिच्युवेशन पाईट्री से तथा देश के सुप्रसिद्ध कवियों की प्रसिद्ध रचनाओं की पंक्तियों से एक प्रेमिका से प्रेम प्रस्ताव को अलग-अलग रूप में प्रस्तुत की तो हॉल वन्समोर की आवाजों से गूंज उठा। दौसा से आई श्रृंगार एवं गीत गजलों की कवयित्रि सपना सोनी ने श्रृंगार एवं गीत गजलों के साथ सभी को आनन्दित कर दिया उन्होंने अपना मोबाईल पर चिरपरिचत गीत ‘‘रिश्ता हमसे बातें उनसे ऐसी क्या सौगात सजन क्या भूल हुई है, कहो जी क्या भूल हुई है’’ सुनाया। तत्पश्चात लाफ्टर चैम्पियन एवं हास्य कवि मुम्बई के पं.सुनील व्यास ने बचपन की मस्तियां एवं अभावों में जीने की रचना तथा दुख में से सुख के पल निकालना मां ने सिखाया है जैसी रचनाओं से उत्कृष्ठ काव्यपाठ किया। देष के सुप्रसिद्ध गीतकार चित्तौड़गढ़ के रमेष शर्मा ने श्रोताओं की मांग पर एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ गीत जिसमें ‘‘जब गरजे तब बरसे नहीं उस शाम सी लड़की थी। उहापोह के निकले हुए परिणाम सी लड़की थी’’ एवं बारिशें न मन छुएंगी, स्वप्न आना छोड़ देंगे तथा सांझी धूप, मुझसे रखते, मुझको भी जलने देते। डांट डपट लड़ना-झगड़ना लाड़ में ढल गया माँ, क्यों अभी से बदल गया माँ ’’ सुनाकर कविसम्मेलन को साहित्यिक गरिमा प्रदान की। गीतकार सत्येन्द्र मण्डेला ने राजस्थानी भाषा में अपने बेहतरीन गीत से रोमांचित कर दिया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे देश के सुप्रसिद्ध मंच संचालक कवि राव अजातशत्रु ने चुटिल हास्य व्यंग्य एव बेहतरीन संचालन के साथ बहुत ही प्रभावी काव्यपाठ किया उनकी रचना ‘‘कविता जिन्दाबाद एवं राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में पर रचित गीत पाठ को बहुत सराहना मिली। कार्यक्रम के अंतिम चरण में कवि सम्मेलन के सूत्रधार एवं संयोजक डॉ.कैलाश मण्डेला ने अपने चिर परिचित अंदाज में लोककवि मोहन मण्डेला जी की प्रसिद्ध रचना ‘छबळक-छबळक’ का काव्यपाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस श्रेष्ठ कवि सम्मेलन का शिखर कलश अपनी बहुचर्चित पुस्तक ‘हेली सुणजे ए’ से अपनी प्रसिद्ध हेली-गीत ‘हेली मेळो लाग्यो भारी,कांई लेवण री मन धारी’ सुना कर कार्यक्रम को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। उपस्थित सभी श्रोताओं, अतिथियों एवं कवियों ने खड़े होकर दो मिनिट तक करतल ध्वनी से लोककवि मोहन मण्डेला जी को अपनी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम अध्यक्ष जयदेव जोशी ने सभी अतिथियों, साहित्य सृजन संस्थान परिवार के सदस्य जिनमें शिवप्रकाश जोशी, पं. सुनील भट्ट, सत्यव्रत वैष्णव, आमीन शेख, शांति लाल मामोड़िया, नगरपरिषद्, थानाधिकारी माया बैरवा आदि सभी का सहयोग हेतु आभार प्रकट किया।