*‼️बिजयनगर ही नहीं पूरे राज्य में सक्रिय हैं ब्लैकमेलर्स‼️*🫢
_*मेरे ब्लॉग पर लोगों ने सुनाए दर्द भरे क़िस्से!*_💁♂️
_*बदनामी के डर से दबा हुआ है दिलों में लावा!!*_🤨
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*बिजयनगर में नाबालिग़ बच्चियों के साथ हुए ब्लैकमेल कांड को लेकर मैंने कल एक ब्लॉग विशेष रूप से लिखा। ब्लॉग पर जितनी प्रतिक्रिया मुझे मिलीं वे असाधारण थीं। ब्यावर! बिजयनगर! गुलाबपुरा! भीलवाड़ा ! अजमेर! किशनगढ और अन्य कई शहरों के बाशिन्दों ने अपने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कई चौंकाने वाले ख़ुलासे किये। यदि इन ख़ुलासों का यहाँ वर्णन करूँ तो समाज में कोलाहल मच जाए। समरसता झुलस जाए। भाई चारा शक़्ल दिखाने लायक नहीं रहे मगर एक ज़िम्मेदार पत्रकार के दायित्व को निभाना मुझे भली भांति आता है इसलिए मैं संयम से ही अपनी बात रखता हूँ।*🙋♂️
*मित्रों! जैसी सूचनाएं मुझे फ़ोन पर दी गईं उनका सारांश यही है कि जितनी घटनाएं सामने आ रही हैं वे तो 1 प्रतिशत भी नहीं। घटनाओं के बहुत बड़े आंकड़े तो हिन्दू समाज ने अपने ज़ख़्मी दिल में छिपा रखे हैं। समाज में ख़ानदान की इज़्ज़त और बेटियों के भविष्य के डर से लोग पुलिस थानों तक पहुंचने में डरे हुए हैं। मीडिया तक जाने में भी उनको डर लगता है।*😯
*फ़ोन पर कुछ अभिभावकों ने मुझसे सलाह ली और अपनी बच्चियों के साथ किये जा रहे दुराचार पर बात की। उन्होंने दबे स्वरों में बताया कि किस तरह उनकी बेटियाँ विजातीय युवकों के शिकंजे में जकड़ी हुई हैं। उनको हवस का शिकार बनाया जा रहा है। आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। कुछ परिवार तो शहर छोड़ कर जा चुके हैं। कुछ ले दे के पीछा छुड़ाना चाहते हैं।*🫢
*ब्यावर के एक व्यक्ति ने तो यहाँ तक कह दिया कि यदि उसकी बच्ची को इसी तरह ब्लैकमेल किया जाता रहा तो वह अपनी बेटी को ज़हर देना पसंद करेगा।*😱
*समाज का यह विकृत स्वरूप निंदनीय है।इसके लिए समाज को संगठित होकर सामने आना चाहिए।*🤷♂️
*लव ज़िहाद या ब्लैकमेल करने की घटनाओं पर तभी ब्रेक लगाया जा सकेगा जब समाज सारे डरों से मुक्त होकर सामने आए। आर पार की लड़ाई अब समाज की ज़रूरत बन चुकी है।*💁♂️
*यहाँ बता दूं कि इस मामले में पुलिस का रवैया पूरी तरह समाज के साथ है। ब्लैकमेलिंग का कोई भी मामला जब किसी भी शहर के थाने में दर्ज़ होता है पुलिस पूरी मुस्तैदी से हरामियों को गिरफ़्तार करने में जुट जाती है। बिना लाग लपेट के उनको गिरफ़्तार किया जाता है। थाने ने उनकी घोड़ी बनाई जाती है। बच्ची और उनके अभिभावकों की पहचान छिपाई जाती है और बच्चियों का दुर्दान्तों से पीछा छूट जाता है।*🙋♂️
*अजमेर में पिछले दिनों ऐसे कई मामले पुलिस तक पहुँचे। बच्चियों के माता पिता ने परिवार की बदनामी से बचने के लिए मामले दर्ज़ नहीं करवाए मगर पुलिस ने बच्चियों के भविष्य की पूरी तरह से रक्षा की। सच में मैं उन पुलिस के अफ़सरों की संवेदनशीलता और नैतिकता को नमन करता हूँ जिन्होंने अपने सामाजिक दायित्वों का मुस्तैदी से पालन किया। बच्चियों को न केवल विजातीय युवकों के शिकंजे से छुड़वाया बल्कि हरामी युवकों को सबक सिखा कर हमेशा के लिए दूर कर दिया। इन मामलों में हिंदू वादी सियासती नेताओं की भूमिका भी सराहनीय रही।*🙏
*मेरा हिन्दू समाज के अभिभावकों से भी आग्रह है कि यदि उनकी बच्चियों के साथ कोई हरामी डरा धमका कर ग़लत कर रहा है तो वह क़ानून से न घबराएं। घबराना और डरना तो उनको चाहिए जो ग़लत कर रहे हैं। जब भेड़िए ही नहीं डर रहे तो हमको क्यों डरना चाहिए। यहां बता दूं कि यदि आप डरते रहे तो आपके डर का और अधिक फ़ायदा उठाया जाता रहेगा। आप एक बार पुलिस तक पहुंच गए तो मान कर चलिए कि आपने अपनी बच्ची को बचा लिया है।*💯
*इन दिनों राजस्थान की पुलिस भले ही और मामलों में जैसी भी हो इन मामलों में पूरी तरह से संवेदनशील है।*👍
*आश्चर्य की बात तो इन मामलों में यह है कि जिस समाज से यह पथ भृमित युवक जुड़े हुए हैं वह समाज युवकों के विरोध में ज़ुबान खोलने को तय्यार नहीं और जिनके साथ बुरा हो रहा है वह डरे बैठे हैं। आख़िर यह कब तक चलेगा❓*🤨
*कल कई ज़िम्मेदार मुस्लिम धर्मावलंबियों को फ़ोन किया। पूछने के लिए कि बिजयनगर की घटना पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है❓आप ताज़्ज़ुब करेंगे कि कोई इस मामले में ज़ुबान खोलने को तय्यार नहीं हुआ। सब ने मामले को संवेदनशील और सेंसेटिव होने का तर्क देकर बात करने से ही इनकार कर दिया।*🫢
*अब आप ही बताएं कि कैसे आज़ाद भारत में हम रह रहे हैं। यदि मामला उल्टा हो जाये तो क्या हो❓क्या लोग इसी तरह से ख़ामोशी धारण किये रहें❓*🙄
*मित्रों! निहायत ही ज़िम्मेदार पत्रकार की हैसियत से सलाह दे रहा हूँ कि पड़ौसी की बिटिया के मामले में आप यदि आज ख़ामोश हैं तो कल आपकी बिटिया का नंबर तय है।*💯