जिसके श्रवण मात्र से मनुष्य परम गति प्राप्त कर लेता है, वह है, शिवपुराण। = मोरारी बापू
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) मोनु सुरेश छीपा स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्री दिव्य चातुर्मास सत्संग
महामहोत्सव के पावन अवसर पर
श्रीशिवमहापुराण कथा में
कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री श्रीशिवमहापुराण भक्ति,ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण है। कथा व्यास-श्री महामंडलेश्वर संत मोरारी बापू ने बताया कि
शौनकादि ऋषियों ने पूछा कि जीवों के दोष निकलें, आसुरी संपदा नष्ट हो और उनको दैवी सद्गुण प्राप्त हों, इसका कोई श्रेष्ठ उपाय कृपा करके हमें बताइये। जिसके अनुष्ठान से अंतःकरण की शीघ्र शुद्धि हो जाता हो, ऐसा कोई निर्मल साधन या उपाय हमें बताइये। यह प्रश्न करके शौनकादि ऋषि बहुत प्रसन्न हुए। सूत जी सुनकर कहने लगे कि आप लोग बड़े भाग्यशाली हैं, आपने परम मंगलमय प्रश्न किया है। समस्त शास्त्रों का सिद्धांत, भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य से परिपूर्ण,जिसमें भक्ति के साथ ज्ञान और वैराग्य भी जागृत हो, ऐसा श्रेष्ठ ग्रंथ जो अमृत स्वरूप है, परम दिव्य है, परम कल्याणकारी है, जिसके श्रवण मात्र से मनुष्य परम गति प्राप्त कर लेता है। वह है-
शिवपुराण।
श्रीशिवमहापुराण भगवान् शंकर ने स्वयं रचा है। यूँ सभी ग्रंथ भगवान शंकर से ही निकलते हैं। सबके बीज मूल भगवान शंकर ही है। फिर भी श्रीशिव महापुराण भगवान शंकर ने ही प्राचीन काल में रचा था। इस दौरान श्री घनश्यामदास जी महाराज, नंदकिशोर काबरा, पूर्व पार्षद रामकुमार चौधरी, अरविंद सोमाणी, सहित श्रद्धालु, महिलाऐं मौजूद थे!