मंत्र शक्ति साधक का रक्षा कवच बन सकता है ,,,
मुमुक्षु मानवी
गंगापुर ( दिनेश लक्षकार ) मंत्र का हर धर्म में महत्व है। जैन धर्म में नमस्कार महामंत्र, सनातन में गायत्री तो बौद्ध धर्म में ओम को प्रमुख मंत्र माना गया है। मंत्र साधना भी एक प्रकार की तपस्या है ,जिसे सिद्ध करने के लिए कठोर जप करना पड़ता है। जप मैं भी भाव क्रिया का शुद्ध होना आवश्यक है ।पूर्ण भाव क्रिया के साथ किया जप ही प्रभावी बताया है ।आत्म शक्ति ,इष्ट शक्ति एवं मंत्र शक्ति प्रभावी होने पर वह साधक का रक्षा कवच बन जाता है ।मंत्र सिद्धि के लिए जप अति आवश्यक है ।उसमें भी बीज मंत्र का विशेष महत्व है। शक्ति जागरण ,गुण संग्रहण व आभामंडल की पवित्रता के लिए जप का सहारा लिया जाता है। यह तभी सफल हो सकता है जब मंत्र के साथ श्रद्धा का जुड़ाव व चित्र में तन्मयता का भाव समाहित हो।
उपयुक्त विचार मुमुक्षु मानवी ने पयुषण पर्व के छठे दिन जप दिवस के अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्थानीय कालू कल्याण कुंज में व्यक्त किया।
इससे पूर्व मुमुक्षु किंजल ने अपने व्यक्तित्व में उपस्थित उपभोक्ताओं का आह्वान किया कि वह पर्युषण काल में स्वयं से युद्ध करने का संकल्प ले। अपने व्यक्तित्व मे अहंकार ,क्रोध ,अज्ञान, प्रमाद व निषेचात्मक भावो को दूर करने का प्रयास करें जिससे उनका जीवन निर्मल व पवित्र बन सके। मुमुक्षु भावना ने भगवान महावीर के जीवन वृत के अंतर्गत 18वे भव में भगवान महावीर के जीव त्रिर्पष्ठ वासुदेव के रूप में उत्पन्न होने की विवेचना की ।
मुमुक्षु शैफाली ने अपने चिर परिचित अंदाज में सुमधुर प्रेरक गितिका का संगान कर सभी को जागृत कर दिया मंगल पाठ से कार्यक्रम की सम्पन्नता हुई।