श्री भक्तमाल जी की कथा अत्यंत दुर्लभ है, इस के प्रधान श्रोता स्वयं भगवान् है। = श्री मोरारी बापू
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग
महामहोत्सव में श्री राम कथा के समापन के बाद बुधवार को कथा व्यास श्री 1008 श्री दिव्य मोरारी बापू ने श्री भक्तमाल कथा, भक्त चरित्र व सात दिवसीय नरसी भगत की कथा एवं नानी बाई का मायरा की कथा शुरू करी।
कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने कथा में
श्रीभक्तमालजी का माहात्म्य श्रीनरसीजी भगत एवं श्रीदेवापंडाजी की कथा के प्रसंग में बताया कि श्री भक्तमाल जी की कथा अत्यंत दुर्लभ है। यह संतों की, भक्तों की निधि है। भक्तमाल के प्रधान श्रोता स्वयं भगवान् है। ‘याके श्रोता आप हैं कीन्ही हरि निरधार,।
भगवान स्वयं श्रोता है। भक्तमाल के श्रोता भगवान के साथ-साथ संत और भक्त लोग हैं। लेकिन प्रधान श्रोता तो भगवान ही है।
इसलिए भक्तमाल की कथा में भगवान को आसान दिया जाता है। जैसे भगवान की कथा में हनुमान जी को आवाहन किया जाता है। श्री राम कथा के प्रधान श्रोता श्रीहनुमानजी हैं, ऐसे ही भक्तमाल ग्रंथ के प्रधान श्रोता श्री ठाकुर जी है। इसीलिए भक्तमाल की कथा में भगवान को आवाहन किया जाता है।
हारि जु आई विराजिये कथा सुनो इतिहास।
तुम श्रोता भक्तमाल के तव पद रज हम दास।।
तुम पाछे जो औरहूं श्रोता हैं रस खान।
तिनके सकल मनोरथ पुरवहुं श्री भगवान।।
प्रार्थना की गई कि आपके पीछे जो रसिक श्रोता जन हैं।हे नाथ उनके मनोरथों को कृपा करके आप पूर्ण करना।
श्रीनरसीजी एवं नानी बाई के मायरा की कथा सुनने से जैसे भगवान ने नरसी भगत के पग-पग पर उनका कार्य संभाला, नानी बाई का मायरा भरा वैसे ही भगवान अपने भक्तों का भी पग-पग पर कार्य संभालते हैं और जहां जैसी आवश्यकता पड़ती है वह पूर्ण करते हैं। कथा में श्री दिव्य सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविन्द सोमाणी, एडवोकेट विजय प्रकाश शर्मा, नंदलाल काबरा, सुभाष चन्द्र जोशी, रामेश्वर दास, मधुसूदन मिश्रा, रविशंकर उपाध्याय, सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।