*‼️देवनानी की टिकिट जितनी पक्की थी जीत उतनी नहीं ‼️*🤨
_*निर्दलियों का मेला उनको तीसरे स्थान पर न ले बैठे!*_🤦♂️
_*उत्तर से रलावता को अभी भी मिल सकती है टिकिट!!*_🙋♂️
_*हेमंत भाटी शायद ग़लतफ़हमी में!*_😟
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*अजमेर की आठों विधानसभाओं में कांग्रेस की हालत पतली चल रही है। कुछ तो अधिकृत उम्मीदवार कमज़ोर माने जा रहे हैं कुछ निर्दलीयों ने उनके हाल ख़राब कर रखे हैं। ऐसा नहीं कि भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार मज़बूत हों। भाजपा में भी भीतरघात और निर्दलीय उम्मीदवारों ने सारे समीकरण चौपट कर रखे हैं।*🙄
*अजमेर उत्तर में तो अभी कांग्रेस ने उम्मीदवार ही खड़ा नहीं किया है। अभी तक तो बिना घोषणा के ही विरोध चल रहा है। धर्मेन्द्र राठौड़ और महेन्द्र सिंह रलावता टिकिट के सबसे मज़बूत दावेदार थे और लंबे समय से तलवारें घुमाने का अभ्यास कर रहे थे। आक़ाओं के भरोसे चलने वाले अजमेर के सभी नेताओं की स्थिति साफ़ हो गई है। और तो और कांग्रेस की नसीम अख़्तर तक ने टिकिट लाकर यह सिद्ध कर दिया है कि चुनाव की पहली लड़ाई उन्होंने जीत ली है। अब टिकिट के बाद कि लड़ाई में वह बग़ावती बाहेती के सहारे अपनी नैया पार करने के मूड में हैं। बाहेती ने यद्धपि पुष्कर से निर्दलीय फार्म भरने का संकल्प दोहरा दिया है। काफ़ी पैसा उनको समाज और उम्मीदवार से मिलने की चर्चाएं भी बाज़ार में चल रही हैं मगर उनका गंभीरता से चुनाव लड़ना नामांकन वापस लेने की तारीख़ निकल जाने पर ही तय होगा। फ़िलहाल तो उनका मैदान में होना न होना बराबर है।*😇
*जहाँ तक भाजपा के सुरेश रावत का सवाल है वह हर रोज़ अपनी स्थिति में सुधार ला रहे हैं। उनके विरोधी आर एल पी के अशोक रावत उनसे काफ़ी पीछे हैं। क्षेत्र के लोग मान कर चल रहे हैं कि वह चुनाव जीतने से ज़ियादा सुरेश रावत को हराने के लिए मैदान में हैं। यही वज़ह है रावत समाज उनको वोट देने का अर्थ ढूंढ रहा है। भाजपा को पड़ने वाले परम्परागत वोट नाली में न चले जाएं यह सोच अभी भी टूटा नहीं है। उनसे तो बेहतर स्थिति डॉ बाहेती की है। नसीम अख़्तर चुनाव नहीं हारें इसके लिए उन्हें अभी बड़ी सावधानी से मशक़्क़त करनी पड़ेगी।*👍
*अजमेर दक्षिण में हेमंत भाटी के निर्दलीय मैदान में उतरने से चुनाव रोचक हो गया है। उनके अलावा नरेश सत्यावना भी चुनाव में ताल ठोक चुके हैं। उधर भाजपा की अनीता भदेल भीतरघात करने वाली ताक़तों पर धीरे धीरे समझौते करती जा रही हैं इससे उनकी स्थिति पहले नंबर पर बनी हुई है। हेमंत भाटी जितना नुक़सान कांग्रेस की द्रोपदी देवी का कर पाएंगे उतना भदेल का नहीं होगा।परम्परावादी वोट दो हिस्से में बंटेंगे। ऐसा न हो कि हेमंत भाटी अतिरिक्त उत्साह में तीसरे नंबर पर रह जाएं। यदि वह सही सलाहकारों के साथ जुड़े रहे तो हो सकता है दूसरे नम्बर पर रह जाएं मगर उनके चुनाव जीतने की फ़िलहाल तो कोई सूरत नज़र नहीं आ रही।*😟
*अजमेर उत्तर में देवनानी जी की हालत बेहद ख़राब है। कुछ सिन्धी नेता जो दावेदार थे या जो चेहरा बदले जाने की मांग कर रहे थे वे सब उनकी अंदर खाते जम कर कार सेवा कर रहे हैं। इधर ज्ञान सारस्वत ने उनकी पूरी तरह से पुंगी बजा कर रख दी है। उनके साथ जितना ज़न समूह नज़र आ रहा है उतना तो देवनानी के साथ भी नज़र नहीं आता। इधर सुरेन्द्र सिंह शेखावत भी चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। यदि वह बैठने के लिए चुनाव मैदान में नहीं हैं तो उनका चुनाव लड़ना भी देवनानी को छठी का दूध याद दिला देगा। शेखावत शहर के लोकप्रिय और यार बाज़ नेता हैं। उनकी देवनानी से ज़ियादा अच्छी छवि है। निर्दलीय खड़े लाल सिंह रावत,कुंदन वैष्णव यदि मैदान में डटे रहे तो देवनानी की हार मुहाने पर ही खड़ी समझिए।*💯
*अजमेर उत्तर से कांग्रेस में अभी महेन्द्र सिंह रलावता के पूरे चांस बने हुए हैं।गहलोत को भले ही अपने हनुमान की बलि चढ़ानी पड़ रही हो मगर सचिन पायलट ने अभी तक अपने विश्वास की हत्या नहीं होने दी है। कहा तो जा रहा है कि साध्वी अनादि सरस्वती को उत्तर से उतारा जा सकता है मगर मेरा मानना है कि अभी तक रलावता का ही पलड़ा भारी है। बिल्ली के भाग्य का छींका टूट जाये यह अलग बात है।*🤷♂️
*आज इतना ही। कल अन्य विधानसभाओं पर बात करूंगा।*🙋♂️