श्री गीता जयंती मनायी गई,,,,,,,,,, ✍️ *मोनू सुरेश छीपा।द वॉयस ऑफ राजस्थान
शाहपुरा। जिले के
सदर बाजार स्थित श्री गोविन्द देव जी के मंदिर में पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ गीता जयंती मनायी गई। पंडित महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि आज की पवित्र तिथि मे कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध से पूर्व उत्पन्न कर्तव्य से विमुख होने वाले विषाद को दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो प्रबोधन किया उसे श्री मद् भगवत गीता के नाम से विभूषित है।
गीता का संदेश सिर्फ अर्जुन के लिए ही नहीं प्रत्येक मानव के लिए जीवन जीने का मंत्र है। इसलिए गीता को किसी धर्म विशेष का ग्रंथ नहीं मानना चाहिए बल्कि यह सार्वभौमिक ग्रंथ है। विश्व के सभी धार्मिक और आध्यात्मिक धर्म गुरु,,,दार्शनिक, चिंतक, गीता की महत्ता को स्वीकार करते हैं कि इसके जैसा और कोई ग्रंथ नहीं है।आज के समय में इसकी उपादेयता और अधिक है,कारण आज जीवन में तनाव बहुत ज्यादा है। तनाव या टेंशन की महामारी से आबालवृद्ध नर नारी ग्रसित है। इसलिए जीवन में निराशा बहुत ज्यादा है। इसके पीछे मूल कारण हमारा कर्म करने का तरीका। हम कर्म के बारे में नहीं फल के बारे में सोचते हैं, वांछित फल नहीं मिलने पर टेंशन। इसलिए गीता का संदेश है कि,,,,,,कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन,,,,।भगवद् गीता के बारे में जितना कहा जाए कम है। इस अवसर पर भक्ति मती रंजना डोडिया ने गीता महात्म्य के बारे मे सुन्दर प्रकाश डाला और जीवन की सार्थकता बतलाने वाला गीत,,,,,सुबह और शाम काम ही काम,,,,,,दो घडी तो करले प्रभु का गुणगान,,,,,जीवन बीता जाए। भक्त मंडली ने भी इस अवसर पर प्रासंगिक भजन गाये।इस अवसर पर राधेश्याम झंवर, अनिल डोडिया, सत्य नारायण मूंदडा, राजेन्द्र मूंदडा, नन्द लाल सोनी, पवन कुमार झंवर, दामोदर मूंदडा और मातृशक्ति उपस्थित थे।