RGHS लाभार्थियों को 10 अगस्त से नहीं मिलेगी आरजीएचएस में दवाइया !
अकारण कटोती, अनियमित भुगतान, पुराना बकाया है मुख्य समस्या !
डोर स्टेप डिलेवरी में भी नहीं हैं अधिकृत फार्मा स्टोर की रूचि !
DSD की शर्तो में संशोधन एवं सरलीकरण कि मांग कि गई थी, जिस पर विभाग ने अभी तक विचार नहीं किया है !
पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा सेवारत और सेवानिवृत सरकारी एवं अन्य स्वायत्तसाशी संस्थाओ के कार्मिको के लिए
राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के नाम से शुरू कि गयी योजना अधरझूल में है, मुख्य कारण दवा विक्रेताओ को पिछले
3 वर्ष से चली आ रही समस्याये है ! दवा विक्रेताओ का कहना हैं कि 21 दिवस में भुगतान का अनुबंध किया गया था किन्तु
3-4 महीने में भी निरंतर भुगतान नहीं हो पाता हैं! साथ ही अकारण कटौती पर विभाग द्वारा सुनवाई और समाधान नहीं किया
जाना हैं ! प्रादेशिक दवा विक्रेता समिति का कहना हैं कि समस्याओ का अविलम्ब समाधान नहीं होने कि स्तिथि में आगामी 10 अगस्त
से संपूर्ण राजस्थान में योजना के अंतर्गत दवाइयों की सप्लाई नहीं की जाएगी, क्योकि भुगतान नहीं करने से थोक दवा विक्रेताओ से दवाई
नहीं मिल पा रही है ! प्रादेशिक दवा विक्रेता समिति लाभार्थियों खासतोर पर सेवानिवृत कार्मिको को होने वाली असुविधा के लिए खेद प्रकट
करती है एवं क्षमाप्राथी है ! साथ ही साथ सेवानिवृत लाभार्थियों की OPD लिमिट को भी सेवारत कर्मचारियों के समान करने की अनुसंशा करती है
क्योकि गंभीर बीमारियों से पीड़ित बुजुर्ग रोगियों को बार बार लिमिट बढवाने के लिए परेशान होना पड़ता है ! जबकि उन्हें समय पर दवाई की बहूत
ज्यादा जरुरत होती है और उन्हें रोज़ रोज़ की इस परेशानी से निजात मिलनी चाहिए क्योकि उन्होंने जीवन भर सरकार की सेवा की है !
प्रादेशिक दवा विक्रेता समिति ने 10 अगस्त से दवाई नहीं दे पाने के निर्णय से विभाग को अवगत करा दिया है एवं RGHS विभाग सहित वित्त विभाग
के उच्च अधिकारियो से कई बार मिलकर अपनी समस्याओ की जानकारी दी है पर कोई ठोस समाधान अभी तक नहीं निकल कर आया हैं !
प्रदेश सचिव रवि गुप्ता का कहना है कि इस योजना में फुटबॉल बना दिया गया है। हम दवाइयां देकर कर्मचारियों की सेवा कर रहे हैं।
21 दिन का एमओयू हो रखा है,लेकिन चार-चार माह तक भुगतान नहीं मिल रहा। बगैर पैसे योजना को कैसे आगे बढ़ाएं।
पेमेंट के लिए विभाग में जाए तो फाइनेंशियल विभाग में भेज रहे है, फाइनेंस वाले विभाग भेज रहे है।
डीएसडी योजना में कई तकनीकी खामियां हैं, केमिस्टों को बिल रिजेक्शन का डर लग रहा है।