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वन स्टेट, वन इलेक्शन की नीति के तहत राजस्थान में पंचायती राज और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ होंगे।
भजन सरकार ने तैयारियां शुरू की।
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एक देश, एक चुनाव की नीति के तहत गत 17 दिसंबर को लोकसभा में विधेयक प्रस्तुत हो चुका है। यह विधेयक अब संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन है, लेकिन राजस्थान में वन स्टेट, वन इलेक्शन की नीति के तहत पंचायती राज और स्थानीय निकायों के चुनाव एक ाथ कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गत 25 नवंबर को प्रदेश के 49 निकायों का कार्यकाल पूरा हुआ तो सरकार ने चुनाव कराने के बजाए इन संस्थाओं में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी। अगले एक वर्ष में शेष 110 नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएग। इसी प्रकार पंचायती राज में 7 हजार ग्राम पंचायतों का कार्यकाल इसी माह जनवरी में पूरा हो जाएगा। मार्च और सितंबर माह तक शेष सभी ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। पंचायती राज में इन दिनों ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन का काम चल रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार पंचायती राज में पुनर्गठन का काम अप्रैल माह तक पूरा हो जाएगा। यानी राज्य सरकार जून 25 तक संपूर्ण पंचायती राज के चुनाव एक साथ कराने की स्थिति में होगी। नियमों के मुताबिक किसी भी निर्वाचित संस्था के चुनाव छह माह पहले कराए जा सकते हैं। प्रदेश में जिन स्थानीय निकायों का कार्यकाल जनवरी 2026 तक है, उनके चुनाव भी जून 25 में करवाए जा सकते हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार सरकार की योजना है कि पंचायती राज और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ जून जुलाई 25 में करवाए जाए। सरकार इस क्रांतिकारी निर्णय की क्रियान्विति करने में जुट गई है। यही वजह है कि जिन ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, वहां चुनाव की प्रक्रिया नहीं हो रही है। मौजूदा समय में पंचायती राज और स्थानीय निकायों के चुनाव वर्ष भर होते रहते हैं। चुनाव चक्र बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। जिस क्षेत्र में चुनाव होते हैं। वहां का काम प्रभावी होता है। सरकार यदि पंचायती राज और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ करवाती है तो इसका फायदा प्रदेश के मतदाताओं को भी होगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-01-2025)
Website- www.spmittal.in