सत्संग में जो मिले उसे जीवन में उतारे :-महाराज श्री राम किशोर जी।
राजेश शर्मा धनोप।
रविवार 25 दिसंबर से सांगरिया ग्राम मे विगत 9 दिन से चल रही भव्य देवी रामकथा के 2 जनवरी सोमवार समापन अवसर पर मुख्य अतिथि मेड़ता देवलधाम से पधारे श्री रामकिशोर जी महाराज ने कहा कि जीवन के पुण्य इकट्ठे होने पर ही सत्संग की प्राप्ति होती है। सत्संग मनुष्य को सत्य और असत्य के निर्णय करने की शक्ति देता है। जिस प्रकार दूध में पानी मिलाकर हंस के सामने रखने पर हंस केवल दूध पीता है, पानी छोड़ देता है उसी प्रकार संत भी केवल गुण ही ग्रहण करते है, अवगुण छोड़ देते है। जिस प्रकार साबुन कपड़े का मेल काट देता है उसी प्रकार राम का नाम भी मन के मेल को बाहर निकाल देता है। जहां सत्संग होता है वहां की भूमि पवित्र हो जाती है। संत जीवन से 71 पीढ़ी का उद्धार होता है अतः सत्संग में जो मिले उसे जीवन में उतारे। कथा वाचक महाराज श्री अनुराग ज्योति जी की प्रेरणा से श्रोताओं द्वारा गांयों के लिए चारे हेतु 43 हजार एक सौ एक रुपये इकट्ठे किये गये। समापन समारोह में मेडता देवलधाम से श्री रामकिशोर जी महाराज तथा ज्ञानी महाराज जी, शास्त्री जी, उत्तमराम जी, राम प्रकाश जी, उदयराम जी सरदारनगर से रामपाल दास जी एवं कायड से ललिता बाईसा ने सभी श्रोताओं को आशीवचन दिया। आयोजक कर्ता कन्हैया लाल कुम्हार के भतीजे द्वारका प्रसाद कुम्हार ने रामायण को सिर पर रखा तथा पूरे गांव में जुलूस निकाला गया। नो ही दिन तक कार्यक्रम की जानकारी शिक्षाविद घीसा लाल प्रजापत ने दी। कार्यक्रम का संचालन महावीर जांगिड़ पनोतिया ने किया।