*महापुरूषों के सिद्धांतों से विमुख होकर उनकी हत्या करनें पर नहीं मिलेगा पश्चाताप का भी अवसर- आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज*
*स्वामी श्रीरामचरणजी के सिद्धांत मानव जीवन को सार्थक एवं धन्य करने वाले*
*स्वामी श्रीरामचरण महाप्रभु के 303वें प्राकट्य महोत्सव के तहत विराट आध्यात्मिक सत्संग का सातवां दिवस*
भीलवाड़ा, 1 फरवरी। हम भगवान व महापुरूषों के सिद्धांतों का प्रचार नहीं कर सकते है तो कम से कम उनकी हत्या तो नहीं करें। हम यदि महापुरूषों के सिद्धांतों से विमुख हो रहे है तो स्वयं भ्रष्ट व अपराधी होकर उनके सिद्धांतों की हत्या का कार्य कर रहेे है ओर समाज को भी अपराध के लिए प्रेरित कर रहे है। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाघीश्वर आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने बुधवार को स्वामी श्रीरामचरणजी महाप्रभु के 303वें प्राक्ट्य दिवस के अवसर पर माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा में दस दिवसीय विराट आध्यात्मिक सत्संग ‘‘राष्ट्र पर्व से लेकर राम पर्व तक’’ के सातवें दिन व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज का प्राकट्य विकट परिस्थतियों में हुआ था। अज्ञान का घोर अंधकार निवृत करने के लिए ज्ञान का सूर्य उदय हुआ था। संत हो या गृहस्थ जो रामस्नेही कहलाता उसके जीवन में आचारसंहिता होनी चाहिए। श्रीमहाराज धर्म की प्रेरणा देने वाले है। उन्होंने अपनी वाणी में उस मानव को खर, शकूर बताया जिसकी प्रज्ञा नष्ट हो गई हो ओर अहंकार का जीवन जी रहा हो। संत ओर संगत धर्म को मस्तष्क पर रखते है। धर्मतत्व हमारे ह्दय में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सम्राट सही मार्ग पर नहीं चले तो संगत उन्हें सुधारती है लेकिन संगत ही सही मार्ग पर नहीं चले तो क्या होगा। समाज को सही दिशा-निर्देश देने के लिए संत का संविधान बाद में संगत को खुद जागृत रहना होगा। स्वामी श्रीरामचरणजी के सिद्धांत मानव जीवन को सार्थक एवं धन्य करने के लिए है। उनका सम्पूर्ण जीवन चरित्र प्रेरणादायी संदेश देने वाला एवं विलक्षण है। जिन पर उनकी कृपादृष्टि होगी वह धन्य होगा। संत जब कृपादृष्टि देते है तो उससे जगत के नहीं ब्रह्मा के दर्शन हो जाते है। ऐसे महापुरूषों के सिद्धांतों पर न चले व दूसरों को भी पथभ्रष्ट करें तो कहां जाकर बच पाएंगे।
*एकादशी पर करें अन्याय का त्याग*
आचार्यश्री ने कहा कि एकादशी के दिन हमे झूठ नहीं बोलना, उपहास नहीं करना एवं राम नाम की उपासना करना है। एकादशी मात्र अन्न त्याग के लिए नहीं है। इसदिन अन्याय का त्याग होना चाहिए तभी हमारा जीवन सफल हो सकता है। हमारी मुस्कराहट बनावटी हो गई है एवं सच्ची प्रसन्नता समाप्त हो गई है। रामनाम ही आत्मीय आनंद की अनुभूति करा सकता है। इस सत्संग रूपी यज्ञ में आहूति देकर पुण्याजर्न करें एवं जीवन को पावन पवित्र बनाए।
*मेवाड़ तीर्थों का भी तीर्थ पंचमधाम*
आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने कहा कि मेवाड़ में तो साक्षात श्रीरामचरणजी महाप्रभु के कदम पड़ने से ये तीर्थों का तीर्थ पंचमधाम है। आध्यात्मिक सत्संग में संत अपने अनुभव के आधार पर संदेश प्रदान कर रहे है। सत्संग का लाभ लेने से नहीं चूकने वाले भाग्यशाली है। बिना कृपा संसार में कोई बात संभव नहीं हो सकती।
*बच्चों में भक्ति व धर्म के संस्कार डाले*
आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने कहा कि जिनका कोई धर्म नहीं उनका भोग व पाप धर्म होने से वह भटक रहे है। आज नही तो कल समझ आएगी लेकिन तब समय नहीं होगा ओर बहुत पश्चाताप पर कोई उपाय नहीं होगा। बच्चों में धर्म,भक्ति व संस्कृति के संस्कार नहीं देने पर आपको एवं उनको दोनों को पछताना होगा। ऐसा होने पर संस्कार व संस्कृति लापता हो जाएंगे। परिवार,समाज व राष्ट्र का स्वरूप विकृत हो जाएगा। अपनी रक्षा करना चाहते है तो धर्म व भगवत नाम को जीवन का आधार बनाए ओर राष्ट्र व समाज की रक्षा करें।
*सदाचार के बिना जीवन में नहीं हो सकती भगवत प्राप्ति*
सत्संग में जैतारण से पधारे संत भगतरामजी शास्त्री ने कहा कि जब-जब धर्म का विचलन होता ओर अधर्म बढ़ जाता है तब-तब धर्म संस्थापन के लिए परमात्मा का अवतार होता है। स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज का प्राकट्य भी धर्म की स्थापना के लिए हुआ। उन्होंने कहा कि जीवन में सदाचार नहीं होने पर भगवत प्राप्ति संभव नहीं है। वर्तमान में छल,कपट व पांखड का प्रचार हो रहा ओर सद्ग्रंथ विलुप्त हो रहे है। सदग्रंथों का विरोध होना भी कलयुग का लक्षण है। यदि कलयुगरहित जीवन जीना चाहते है तो स्वामी रामचरणजी महाराज के वाणीजी के माध्यम से दिए गए नियमों व सिद्धांतों का पालन करना होगा। इन सिद्धांतों का पूरा नहीं आशिंक पालन भी कर ले तो कलयुग से हमारी रक्षा हो सकती है।
*ज्ञान, भक्ति व वैराग्य प्राप्ति की इच्छा होने पर छूट जाता संसार का मोह*
सत्संग में शाहपुरा से आए रामस्नेही सम्प्रदाय के इतिहासवेत्ता संत गुरूमुखरामजी ने कहा कि ज्ञान, भक्ति व वैराग्य प्राप्ति की इच्छा होेने पर व्यक्ति संसार का मोह छोड़ देता है। भीलवाड़ा की धरती स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज का प्राकट्य स्थल होने से धन्य हो गई। इस पावन धरती पर आने से अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। सत्संग में ताल के संत हरसुखरामजी ने भी धर्म संदेश दिया। जहाजपुर से आए संत ललितरामजी ने भजन की प्रस्तुति दी। आयोजन में देवास के संत श्रीरामनारायणजी, मचलाना घाटी के संत श्रीईश्वरदासजी, स्थानीय भंडारी श्रीजयरामजी, जहाजपुर के संत श्रीईश्वररामजी, देवास के संत रामनारायणजी,शाहपुरा के संत श्रीरामाश्रयजी, इंदौर के संत श्रीबोलतारामजी, सूरत के संत श्रीसमतारामजी, सीकर के संत श्रीधर्मीरामजी, संत श्रीसेवारामजी आदि का भी मंच पर सानिध्य रहा।
*श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से की आचार्यश्री की आरती*
सत्संग के अंत में श्रद्धालु मंजू समदानी ने भजन ‘‘राम रस रसना पर घोल’’ की प्रस्तुति देकर माहौल भक्तिपूर्ण कर दिया। सोमानी परिवार के साथ सत्संग में आए श्रद्धालुओं ने पूज्य आचार्यश्री रामदयालजी महाराज की आरती की। एकादशी होने से रामद्वारा में दोपहर में आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज के सानिध्य में वितराग वाणीजी का पाठ भी हुआ। इसमें कई श्रद्धालु शामिल हुए एवं भजनों की प्रस्तुति भी दी गई। दस दिवसीय महोत्सव के तहत 4 फरवरी तक प्रतिदिन रामद्वारा में सुबह 9 से 11 बजे तक सत्संग होगा। महोत्सव के तहत 3 फरवरी शुक्रवार रात 8 बजे से मध्यरात्रि तक रात्रि जागरण का आयोजन रामद्वारा में होगा। महोत्सव के समापन दिवस 4 फरवरी को सुबह 8.30 बजे से प्राइवेट बस स्टेण्ड स्थित विजयवर्गीय भवन से रामद्वारा तक शोभायात्रा निकाली जाएगी।
*रामस्नेही चिकित्सालय मेें 4 फरवरी को आउटडोर में निःशुल्क परामर्श*
स्वामी श्रीरामचरणजी महाप्रभु के 303वें प्राकट्य दिवस (जयंति) के अवसर पर 4 फरवरी को भीलवाड़ा में रामस्नेही चिकित्सालय में आउटडोर (बहिरंग) में रोगियों को निःशुल्क परामर्श दिया जाएगा। चिकित्सालय प्रबंधक दीपक लढ़ा ने बताया कि चिकित्सालय के नियमित आउटडोर समय में निःशुल्क परामर्श मिलेगा।