ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में वरदान साबित हो रहे जिंक कौशल केंद्र
भीलवाडा। (पंकज पोरवाल) हिन्दुस्तान जिंक के इन कौशल केद्रों से प्रशिक्षित 5248 ग्रामीण युवाओं में से 4350 आत्म निर्भर
हुरड़ा गांव की रहने वाली पूजा सेन ने जिंक कौशल केंद्र से निहत्थे सुरक्षा गार्ड बैच प्रशिक्षण लिया। पूजा ने अपने प्रशिक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अपने आत्मविश्वास से आज वह सिक्योरिटी के क्षेत्र में कार्य करते हए परिवार की जिम्मेदारी निभा रही हैं।
मकरवाली गांव की पूजा गुर्जर सामाजिक सीमाओं के बधंन को तोड़ते हुए आज वह प्रेरणा की किरण बनकर उभरीं हैं। अपने पिता के आत्म-निर्भरता और प्रदर्शन के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, पूजा ने कायड में जिंक कौशल में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने ग्राहक संबंध प्रबंधन पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण लिया। पूजा ने महत्वपूर्ण कौशल और ज्ञान हासिल किया और अजमेर में वेल श्योर सॉल्यूशन सर्विसेज में पद हासिल किया। इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को गौरवान्वित किया बल्कि उनके गांव की कई लड़कियों को प्रेरित किया। वह अपनी सफलता का श्रेय जिंक कौशल द्वारा प्रदान किए गए मंच को देती हैं और अपने जीवन को बदलने और अपने समुदाय को सशक्त बनाने के लिए हिंदुस्तान जिंक के प्रति आभार व्यक्त करती हैं।
इनकी तरह ही हिन्दुस्तान जिंक कौशल केन्द्र से जुड़कर हिन्दुस्तान जिंक के 5 जिलों उदयपुर, राजसमंद, चित्तौडगढ़, भीलवाडा और अजमेंर के 5 हजार से अधिक ग्रामीण और शहरी युवा अपने सपनों को साकार करने की ओर अग्रसर है।
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा हमेशा से अपने परिचालन इकाईयों के आस पास के क्षेत्र के समुदाय का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण प्राथमिकता में रहा है। जिसके लिए विभिन्न परियोजनाओं का संचालन शिक्षा, स्वास्थ्य और आवश्यकता आधारित कार्यक्रमों के अनुकूल किया जा रहा है। जिम्मेदार उद्योग के रूप में सीएसआर के तहत् हिन्दुस्तान जिं़क द्वारा विशेष रूप से स्थानीय ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें रोजगार एवं स्वरोजगार से जोडने के लिए जिं़क कौशल केंद्र द्वारा उनके भविष्य को सुदृढ़ करने हेतु प्रयास किये जा रहे है। युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के कंपनी के प्रयासों से करीब 5248 से अधिक युवाओं को कौशल विकास से जोडने और उनमें से 4350 से अधिक के रोजगार एवं उद्यमी के रूप में कार्यरत होने से सफलता की ओर अग्रसर होते नजर आते है।
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रो में बेराजगारी का मुख्य कारण युवाओं में कौशल की कमी है। इसे दूर करने के लिये हिंदुस्तान जिंक ने अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन, टाटा स्ट्राइव और वेदांता फाउंडेशन के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में हिन्दुस्तान जिं़क के कौशल विकास कार्यक्रमों संचालित किया है। ये संगठन स्थानीय युवाओं के लिए उपलब्ध रोजगार के अवसरों के साथ-साथ युवाओं की रुचि के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों की पहचान कर भौगोलिक क्षेत्रों में मूल्यांकन सर्वेक्षणों के अनुसार कार्यक्रम क शुरुआत करते है। जिंक कौशल केंद्रों में यह महत्वपूर्ण है कि युवा स्वयं किस पाठ्यक्रम या क्षेत्र मंे रूचिकर है। वर्ष 2019-20 में स्थापित दरीबा और आगुचा के बाद अब ये कौशल केंद्र जावर, देबारी, कायड़, चंदेरिया और पंतनगर में भी संचालित है।
केंद्र में नामांकित अधिकांश प्रशिक्षु नियमित शिक्षा का हिस्सा नहीं हैं। वे ज्यादातर ड्रॉपआउट हैं,इसलिए, संस्थान उन्हें सॉफ्ट स्किल, जीवन कौशल और आईटी कौशल के साथ-साथ उन्हें रोजगार योग्य बनाने के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल प्रदान करता है। इन केंद्रो में युवाओं को जनरल ड्यूटी असिस्टेंट, माइक्रोफाइनेंस एक्जीक्यूटिव, इलेक्ट्रीशियन, सिक्योरिटी गार्ड, रिटेल सेल्स एग्जीक्यूटिव, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट, फूड एण्ड बेवरेज सेवाएं, फ्रंट ऑफिस एसोसिएट, बीएफएसआई-बिजनेस डेवलपमेंट एक्जीक्यूटिव, ऑटो सेल्स कंसल्टेंट जैसे पदों के लिये प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
यदि प्रशिक्षण की बात की जाए तो 400 घंटे के सहायक इलेक्ट्रीशियन ट्रेड में मुख्य इलेक्ट्रीशियन की सहायता के लिए प्रशिक्षण कर्मियों को शामिल किया गया है। इसमें इलेक्ट्रिकल बेसिक्स, इलेक्ट्रिकल टूल्स हैंडलिंग, सिंगल और ट्रिपल फेज वायरिंग और ट्रबल शूटिंग का अध्ययन शामिल है। इसी प्रकार जनरल ड्यूटी असिस्टेंट में रोगी की देखभाल का व्यावहारिक प्रशिक्षण, नर्स की सहायता , स्वच्छ अस्पताल के वातावरण को बनाए रखना आदि शामिल है। अर्नआम्ड सुरक्षा गार्ड की निजी गार्ड ट्रेनिंग, आपातकालीन बचाव, सीसीटीवी निगरानी, प्राथमिक चिकित्सा और अग्नि आपात से जुड़े 270 घंटे कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है। माइक्रोफाइनेंस कार्यकारी प्रशिक्षण बैंकिंग, वित्त, बीमा और अन्य वित्तीय संस्थानों जैसे स्वयं सहायता समूह में कार्य की जानकारी देता है। डेटा एंट्री ऑपरेटर प्रशिक्षण विस्तृत बुनियादी और अग्रिम कंप्यूटर ज्ञान, एमआईएस हैंडलिंग, प्रलेखन आदि प्रदान करता है। कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव ट्रेड में टेली मार्केटिंग,टेली कम्युनिकेशन में प्रशिक्षण कार्मिक, बातचीत कौशल, ग्राहक संबंध प्रबंधन आदि शामिल हैं। रिटेल सेल्स एसोसिएट ट्रेड में मार्केटिंग सेल्स, कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट आदि में प्रशिक्षण कर्मियों को शामिल किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षुओं को अंग्रेजी, कंप्यूटर और जीवन कौशल में भी प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को कंपनी के एक्सपोजर विजिट, जॉब ट्रेनिंग, गेस्ट लेक्चर, प्रोजेक्ट्स आदि से संपूर्ण कार्यप्रणाली से अवगत किया जाता है। प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद, उन्हें रोजगार से जोड़ने में हर संभव सहायता दी जाती है, साथ ही इस प्लेसमेंट के उपरांत अनुगमन कर दो वर्षो तक उन्हें परामर्श एवं सहायता भी प्रदान की जाती है।
युवाओं को कुशल बनाने के लिये सुविधाओं से लैस है कौशल केंद्र
प्रशिक्षण, निश्चित रूप से, परियोजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है और यही कारण है कि हिन्दुस्तान जिंक उपयोग की जाने वाली सामग्री, प्रस्तावित बुनियादी ढांचे आदि सहित प्रशिक्षण की सुविधाओं पर पूरा ध्यान देता है। जिंक कौशल केंद्र प्रयोगशालाओं, आईटी और सॉफ्टवेयर के साथ ही सुरक्षा गैलरी और पुस्तकालय के साथ कौशल कक्षाओं से लैस हैं। केंद्रों में अनुभवी और योग्य प्रशिक्षकों की एक टीम, गेस्ट फेकल्टी, एक्सपोजर टूर महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण प्रक्रिया तीन चरणों में आयोजित की जाती है, अर्थात् पूर्व-प्रशिक्षण, प्रशिक्षण और प्रशिक्षण के उपरान्त। पूर्व-प्रशिक्षण प्रक्रिया में कौशल आवश्यकताओं का मूल्यांकन, करियर परामर्श, आदि शामिल हैं, जबकि प्रशिक्षण प्रक्रिया में व्यापार और सॉफ्ट कौशल विकास सत्र और अन्य जानकारी के साथ ही रोजगार प्रशिक्षण शामिल है। प्रक्रिया का अंतिम चरण पोस्ट-ट्रेनिंग है जिसमें जॉब फेयर, मेंटरिंग और सपोर्ट, रिफ्रेशर ट्रेनिंग, प्लेसमेंट आदि शामिल हैं। जिंक कौशल केंद्र प्रशिक्षुओं को डोमिनोज, मुथूट फाइनेंस, पैंटालून, मारुति सुजुकी, स्पेक्ट्रम रिजॉर्ट, एक्सिस बैंक, एयरटेल, क्रेडिट एक्सिस ग्रामीण लिमिटेड, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक, रमाडा रिसोर्ट एण्ड स्पाॅ आदि जैसी कंपनियों में सुरक्षित प्लेसमेंट में मदद करते हैं।
हिंदुस्तान जिंक, जिम्मेदार कार्पोरेट के रूप में शीर्ष 15 सीएसआर मद में श्रेष्ठ कार्य करने वालों उद्योगों में से एक है अब तक राजस्थान एवं उत्तराखंड के 237 गावों में 1.7 मिलियन लोग लाभान्वित हुए है।