*भारत को भारतीय मान्यताओं के आधार पर समझना होगा- निम्बाराम*
✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
शाहपुरा –
श्री प्रतापसिंह बारहठ राजकीय महाविद्यालय, शाहपुुरा में आज अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के बैनर तले गुरू वंदन एवं एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम ने विद्यार्थियों को पाथेय प्रदान करते हुए बताया कि भारत को भारतीय मान्यताओं के आधार पर समझना होगा। हमें प्राचीन भारतीय सनातन परम्पराओं पर गर्व करना होगा तथा वसुधैवकुटुंबकम् का भाव रखते हुए राष्ट्रधर्म का पालन करना होगा। हमें अपने प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर तक्षशिला,नालन्दा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों का पुनरूत्थान करना होगा। उन्होंने बताया सनातन संस्कृति के अनन्त और असीम शब्दकोश में सार्वधिक पूजनीय शब्द गुरु है। शान्तिपर्व में लिखा है कि ‘ऋषयश्च हि देवाश्च प्रीयन्ते पितृभिः सह। पूज्यमानेषु गुरुषु तस्मात् पूज्यतमो गुरुः।।’ अर्थात गुरु की पूजा करने पर देवता,पितृ और ऋषियों सहित सब प्रसन्न होते हैं। अतः गुरु परम पूजनीय है सदैव उनका पूजन करना चाहिए। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के जिला अध्यक्ष डाॅ. पुष्करराज मीणा ने ए.बी.आर.एस.एम. के ध्येय वाक्य ‘राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक, शिक्षक के हित में समाज’ की समझ प्रस्तुत की। इस अवसर पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) प्रदेश सचिव कश्मीर भट्ट, जिला सचिव प्रवीण टांक, इकाई सचिव डाॅ. रंजीत जगरिया, इकाई सह सचिव प्रो. दिग्विजय सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक गोपाल , प्रान्त बौधिक प्रमुख सत्यनारायण कुमावत, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी शंकर लाल माली, पूर्व प्राचार्य डाॅ. हरमल रेबारी, कपिल निम्बार्क, प्रो. रामावतार मीना, प्रो. मूलचन्द खटीक, डाॅ. अनिल कुमार श्रोत्रिय, डाॅ. ऋचा अंगिरा, डाॅ.हंसराज सोनी, प्रो. प्रियंका ढाका, प्रो. शंकर लाल चौधरी , प्रो. दलवीर सिंह, प्रो. अतुल कुमार जोशी, प्रो. नेहा जैन और विद्यार्थी परिषद् के पूर्व कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. तोरन सिंह ने किया एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के जिला प्रचार प्रमुख प्रो. धर्मनारायण वैष्णव ने सभी का आभार व्यक्त किया।