संगीतमय श्रीराम कथा में कथा वाचक ने श्रीराम वनवास प्रसंग पर विस्तृत रूप से बताया।
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) निकटवर्ती ग्राम रुपाहेली कला में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवे दिवस में पण्डित अखिलेश मिश्रा ने राम वनवास की कथा में बताया कि महाराज दशरथ ने भगवान श्री राम जी को अयोध्या का राज्य देने का विचार किया तो सरस्वती की प्रेरणा से दासी मंथरा ने महारानी कैकयी से कहा की यदि कौशल्या का पुत्र राम अयोध्या का राजा हुआ तो आप अयोध्या में उसी प्रकार से रहोगी जैसे दूध में मक्खी, इस लिए जो दो वरदान आप ने महाराज दशरथ के पास रखें हुए हैं उसमें पहला वरदान अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राज्य और कौशल्या के पुत्र राम को चौदह वर्षो का वनवास दासी मंथरा के कहने पर महारानी कैकयी ने ऐसा ही किया। कथा वाचक ने बताया कि प्रभू श्री रामचंद्र जी पहली रात्रि तमसा नदी के किनारे व दूसरी रात्रि सिगवेरपुर फिर गंगा नदी को पार करने के लिए प्रभु श्री राम जी ने केवट से नाव मंगाई, केवट ने कहा नहीं प्रभु आपके भेद को जानता हूं जब तक आपके चरण नहीं पखारूगा तब तक नाव में नहीं बैठाऊंगा। कथावाचक ने कहा की राम जी के भेद को केवट क्या जानता था, यह एक गुढ़ रहस्य है, अगले जन्म में श्री राम जी विष्णु के रूप में सीता जी लक्ष्मी के रूप में लक्ष्मण जी शेषनाग के रूप में और यह केवट कछुआ था। भगवान के चरणों को स्पर्श करने का प्रयास करता लेकिन शेष शेषनाग और लक्ष्मी जी के कारण वह चरण स्पर्श नहीं कर पाया था। कथा वाचक ने कहा कि भगवान गंगा को पार करके चित्रकूट पहुंचे।
संगीतमय श्रीराम कथा में कथा वाचक ने श्रीराम वनवास प्रसंग पर विस्तृत रूप से बताया।
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